अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन के हाथों मिली करारी शिकस्त को चाहकर भी भूल नहीं पा रहे हैं. यही कारण है कि मतगणना में बाइडेन को निर्णायक बढ़त मिलने के बावजूद अभी तक ट्रंप ने अपनी हार नहीं स्वीकारी है. अब आशंका जताई जा रही है कि 20 जनवरी तक के अपने बचे हुए कार्यकाल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप कुछ ऐसा कर जाएंगे जो नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए सिरदर्द साबित होगा.
राजनयिक या
व्यापारिक हित में बड़ा फैसला ले सकते हैं ट्रंप
एक्सपर्ट के अनुसार, अपनी विदाई से पहले डोनाल्ड ट्रंप चीन के खिलाफ राजनयिक और व्यापार के क्षेत्र में कई कड़े फैसले ले सकते हैं. ट्रंप कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन पर सीधे आरोप लगाते रहे हैं. ऐसे में अमेरिका को इस महामारी से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चीन के खिलाफ कड़े निर्णय ले सकते हैं.
विशेषज्ञों ने
जताया ट्रंप पर संदेह
अमेरिकी दूतावास
की तरफ से चीन से ट्रेड निगोशिएशन करने वाली टीम के सदस्य और जॉर्जटाउन
यूनिवर्सिटी के फैलो जेम्स ग्रीन ने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप 20 जनवरी से
पहले ऐसी कोई शरारत कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन ने कभी भी
कोई मानदंड बनाए नहीं रखे हैं. ऐसे में सहकारी हैंडओवर प्रक्रियाओं के संदर्भ में
मुझे इस बात की चिंता सता रही है.
ट्रंप को निर्णय
के लिए सीनेट की मंजूरी जरूरी नहीं
हॉन्ग कॉन्ग की
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के विदेश नीति में ट्रंप जब चाहें तक
एक्जिक्यूटिव ऑर्डर या एजेंसी रूल मेकिंग के अनुसार परिवर्तन कर सकते हैं. इसके
लिए उन्हें सीनेट की मंजूरी प्राप्त करने
की बाध्यता नहीं है. इसके जरिए भी ट्रंप
पेइचिंग के खिलाफ कोई कड़ा निर्णय ले सकते हैं.
चीन के खिलाफ
क्या फैसला ले सकते हैं ट्रंप?
इसके अलावा ट्रंप
शिनजियांग में उइगुर मुसलमानों की नजरबंदी और नरसंहार के लिए चीन को दोषी ठहरा
सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
रॉबर्ट ओब्रायन ने चीन के ऊपर शिनजियांग में नरसंहार करने का आरोप लगाया था. इसके
अलावा ट्रंप चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के वीजा पर पाबंदी लगा सकते हैं.
ऐसा भी माना जा रहा है कि 2022 में चीन में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक में शामिल न
होने के लिएअमेरिकी एथलीटों को आदेश देने का प्रयास कर सकते हैं.
ट्रंप के लिए गए
ऐक्शन बाइडेन पर पड़ेंगे भारी
ट्रंप ने पहले से
ही चीन से कई वस्तुओं के आयात पर तगड़ा व्यापार शुल्क लगा चुके हैं। चीनी ऐप
टिकटॉक और वीचैट पर पाबंदी भी उनके कार्यकाल में ही लगी थी. ट्रंप ने ही चीन के
हुवेई टेक्नोलॉजी के 5जी नेटवर्क पर सबसे पहले बैन लगाया. जिसके बाद कनाडा और
ब्रिटेन ने भी हुवेई पर पाबंदी लगाई थी. ट्रंप के यह सभी कार्य बाइडेन प्रशासन के
लिए चुनौती साबित हो सकते हैं. ऐसे में उन्हें अधिक शक्तिशाली चीन से भिड़ना
पड़ेगा.
चीन के खिलाफ
अमेरिकी लोगों की नकारात्मक धारणा बढ़ी
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 73 प्रतिशत अमेरिकियों का चीन के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण है. जनवरी 2017 से ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से अमेरिकी लोगों के मन में चीन को लेकर खासी नकारात्मक सोच देखी गई है. यही कारण है कि अमेरिका ने लगभग 20 साल से आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल पूर्व तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को बाहर कर दिया.
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