लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रदर्शन से नाखुश बसपा प्रमुख मायावती ने समीक्षा शुरू कर दी है. इस बीच मायावती ने एक अहम फैसला लेते हुए सभी विधानसभा उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इससे पहले बसपा कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ती थी. बसपा ने अपना आखिरी उपचुनाव 2010 में लड़ा था.
दिल्ली में सांसदों, कोआर्डिनेटरों, जिला अध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान मायावती ने कहा कि सपा के साथ गठबंधन से कोई खास फायदा नहीं हुआ. यादव वोट अपेक्षा के अनुरूप हमको ट्रांसफर नहीं हुए. शिवपाल यादव ने यादव वोटों को बीजेपी में ट्रांसफर करा दिया. सपा इसे रोक नहीं पाई. सपा इसे रोक नहीं पाई. अखिलेश यादव इस चुनाव में यादव वोटों का बंटवारा रोक नहीं पाए.
इस बार 11 विधायक लोकसभा का चुनाव जीते हैं. लखनऊ कैंट से बीजेपी विधायक रीता बहुगुणा जोशी, टुंडला से बीजेपी विधायक एसपी सिंह बघेल, गोविंदनगर से बीजेपी विधायक सत्यदेव पचौरी, प्रतापगढ़ से अपना दल विधायक संगम लाल गुप्ता, गंगोह से बीजेपी विधायक प्रदीप
कुमार, मानिकपुर से बीजेपी आरके पटेल, जैदपुर से बीजेपी विधायक उपेंद्र रावत, बलहा से बीजेपी विधायक अक्षयवर लाल गोंड, इगलास से बीजेपी विधायक राजवीर सिंह इस बार चुनाव जीते हैं.
इसके अलावा रामपुर सदर से सपा विधायक आजम खां और जलालपुर से बसपा विधायक रितेश पांडेय सांसद बन गए हैं. इन सभी 11 सीटों पर छह महीने के अंदर उपचुनाव होने वाले हैं. इन सभी सीटों पर बसपा अपना प्रत्याशी उतारेगी. हालांकि, यह साफ नहीं है कि बसपा, सपा के साथ मिलकर उपचुनाव लड़ेगी या अलग होकर. लेकिन यह साफ है कि बसपा अब उपचुनाव लड़ेगी.
बसपा ने सरकार में रहते हुए अपना आखिरी उपचुनाव लड़ा था. 2010 में डुमरियागंज विधानसभा सीट से बसपा विधायक रहे तौफीक अहमद की मौत हो गई थी. इस सीट से तौफीक अहमद की पत्नी को बसपा ने उपचुनाव में उतारा था. यह चुनाव बसपा जीत गई थी. 2010 के बाद कोई उपचुनाव नहीं हुआ. 2012 में बसपा सत्ता से बेदखल हो गई. इसके बाद बसपा ने उपचुनाव न लड़ने का फैसला किया था.
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