साहसिक खेलों को बढ़ावा देने की सरकार की घोषणाएं मात्र औपचारिकता तक ही सीमित

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साहसिक खेलों को बढ़ावा देने की सरकार की घोषणाएं मात्र औपचारिकता तक ही सीमित

Gauri Manjeet Singh 11-04-2022 16:02:13

गुमनामियों के भंवर हिमाचल प्रदेश के पर्वतारोही का जीवन

करतार कौशल कुल्लू।

हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और, यह कहावत हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार के प्रतिनिधियों पर एकदम स्टीक बैठती हैं। ऐसी एक जमीनी हकीकत की दासता दुर्गम क्षेत्र जिला किन्नौर निवासी पर्वतारोही अमित कुमार नेगी सामने लाएं हैं। जिसमें तमाम अभावों से जूझते हुए पर्वतारोही अमित कुमार नेगी ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतेह कर स्वर्ण पदक का खिताब प्राप्त कर हिमाचल प्रदेश राज्य का नाम तो रोशन किया लेकिन आज दिन तक राज्य सरकार ने उनकी इस उपलब्धि के लिए रोजगार तो दूर की बात प्रोत्साहन राशि अथवा पुरस्कृत करना तक गवारा नहीं समझा। वहीं वित्त वर्ष भी सर्वश्रेष्ठ पर्वत श्रृंखलाओं में एक कंचनजंगा पर्वतरोहण के फ्लैग ऑफ करने सहित तिरंगा देकर विदा करने सहित हर आर्थिकी सहायता का जोर-शोर से आश्वासन तो दिया मगर यह आश्वासन केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया। वहीं सरकारी तौर पर इस दिशा में किसी प्रकार की घोषणा न कर सरकार के साहसिक खेलों एवं खिलाड़ियों को बढ़ावा देने की पोल भी जगजाहिर हो गई।
गौर हो कि गत दिनों खेल एवं वन विभाग मंत्री राकेश पठानिया व किन्नौर विधानसभा क्षेत्र विधायक जगत नेगी द्धारा पर्वतारोही अमित कुमार नेगी को राजधानी शिमला से कंचनजंगा पर्वतरोहण के लिए फ्लैग ऑफ कर राष्ट्रीय ध्वज प्रदान जहां किया गया। वहीं उनके पूर्व में किए विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतेह के लिए बधाई देने सहित मौजूदा समय में सरकार की ओर से पूर्ण मदद करने का आश्वासन दिया। जिसमें उनके कंचनजंगा पर्वतरोहण के मिशन के लिए एक नहीं दो नहीं बल्कि दस आर्थिकी मददगार का भरोसा दिया। लेकिन जमीनी हकीकत तब सामने आई जब ऐन मौके पर दस में से सिर्फ एक मददगार व्यक्ति ही चंद राशि के लिए तैयार हुआ। वहीं इन पलों की न ही किसी प्रकार की आधिकारिक घोषणा की गई और इस बात को मीडिया में प्रकाशित
भी नही करवाया गया। जिससे आप अंदाजा लगा ही सकते हैं हिमाचल प्रदेश राज्य के पर्वतारोहियों की कैसे प्रतिभा उभर कर सामने आएगी। 

 


पर्वतरोही अमित कुमार नेगी ने बताया कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर्वत श्रृंखला फतेह करने का अनुभव अपने चुनौतियों से लेकर भयभीत करने उत्साहजनक रहा। उन्होंने बताया कि  31 मई 2021 को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पर्वत श्रृंखला माउंट ऐवरेस्ट ही फतेह करने का फैसला किया और उसे पूर्ण भी किया।  उन्होंने बताया कि इस सफर में तमाम बाधाओं, चुनौतियों का सामना करते हिम्मत को बांधे आगे बढ़ते रहे।  इसके बाद वह उस मुकाम पर पहुंच गए जिसकी हसरत लिए कई पर्वतरोही साथी दुनिया  को अलविदा कह गए। उन्होंने बताया कि विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट ऐवरेस्ट को फतेह करने पर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने बताया कि मुझे बहुत खुशी थी कि 31 मई 2021 को माउंट ऐवरेस्ट की चोटी पर था। लेकिन यहां से वापस लौटने पर उन्हें स्वर्ण पदक तो प्रदान किया लेकिन इसके बाद न केंद्र और न ही राज्य सरकार द्वारा उन्हें किसी प्रकार की तवज्जो दी गई। जबकि उनके क्षेत्र संबंधित एक अन्य पर्वतारोही को नकद राशि प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। बीते वर्ष में क्यूं नहीं उन्हें सराहा गया इस बात को वह इतनी अहमियत नहीं देते। लेकिन वर्तमान समय में कंचनजंगा पर्वतरोहण के लिए कैबिनेट मंत्री एवं किन्नौर जिले के स्थानीय  विधायक की शुभकामनाएं और आर्थिकी मदद केवल घोषणा तक ही सीमित रही। इस बात का कहीं न कहीं हृदय को ठेस अवश्य पहुंचाती है। जिसकी वजह जान जोखिम में डालने वाले पर्वतारोहियों के हौंसले बुलंद करने की बजाय उन्हें कहीं न कहीं अभावों सहित सरकार का इस दिशा में कोई पग न उठाने जाने के प्रति निराशा देते हैं। अगर राज्य सरकार ऐसा व्यवहार पर्वतारोहियों के प्रति करती रही तो कई पर्वतारोहियों का मनोबल इस साहसिक खेल से उठ जाएगा।

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