अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: कोरोना महामरी के कहर से भारत की अर्थव्यवस्था पर काफी गहरा निशान छोड़ा है। कोरोना की तीनों लहर से डगमगाई अर्थव्यवस्था अभी भी पटरी पर नहीं लौटी पाई है. देश में सबसे ज्यादा कहीं ढोलक बनता है तो वह उत्तर प्रदेश का अमरोहा ही है. अमरोहा के लकड़ी हस्तकला एसोसिएशन के अध्यक्ष शक्ति कुमार अग्रवाल कहते हैं कि अमरोहा में 'करीब पांच हजार लोग ढोलक के व्यापार से जुड़े हैं. और करीब 400 ढोलक बनाने वाले कारखाने हैं. लेकिन फिलहाल ढोलक की थाप पर महंगाई की छाप है.
बता दें कि लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार 'एक जिला एक उत्पाद योजना' योजना चला रही है. इस योजना में अमरोहा का ढोलक भी शामिल है. अमरोहा के ढोलक व्यापारी राजीव कुमार प्रजापति बताते हैं, "एक जिला एक उत्पाद योजना योजना के आने से व्यापारियों को फायदा हुआ है. इस योजना के तहत 25 फीसदी सब्सिडी के साथ लोन का प्रावधान है, जिसका फायदा मुझे भी मिला है. लेकिन कई लोग ओडीओपी का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं."
दरअसल, कई लोगों की शिकायत है कि ओडीओपी के लिए जो कागजी
कार्रवाई होती है उसमें अधिकारी काम अटका देते हैं. लकड़ी हस्तकला एसोसिएशन के अध्यक्ष शक्ति कुमार अग्रवाल ओडीओपी से खुश हैं लेकिन उनका कहना है कि सरकार भले ही लोन की बात करे लेकिन लोन लेना आसान काम नहीं है.
"जब कोई आम व्यापारी लोन के लिए जाता है तो बैंक वाले उसे परेशान करते हैं. लोन के बदले पैसा मांगते हैं. कई बार गारंटी के नाम पर लोन अटकाते हैं. यही नहीं इस लोन पर 10 फीसदी ब्याज देना होता है जो व्यापारियों के लिए मुश्किल बढ़ाता है. सरकार को चाहिए कि इसे 10 फीसदी से घटाकर चार फीसदी करें. तब ही ढोलक बाजार की हालत ठीक होगी.
ढोलक व्यापारी राजीव कुमार प्रजापति कहते हैं कि सरकार ने ढोलक को जीएसटी से बाहर रखा है लेकिन ढोलक बनाने के लिए जो सामान खरीदते हैं उसपर जीएसटी लगता है. चाहे वो लकड़ी हो या चमड़ा. इसके अलावा लगातार बढ़ती महंगाई ने भी इस व्यापार को कमजोर किया है. राजीव कहते हैं कि इनका प्रोडक्ट देश-विदेश में जाता है. लेकिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम ने भी इस बाजार पर अपना असर डाला है.
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