ट्रंप ने इतनी आक्रामक भाषा का इस्तेमाल जून में किया था जब उन्होंने ईरान पर हमले की योजना को टाल दिया था. तब ईरान ने अमरीकी ड्रोन को मार गिराया था. शनिवार को सऊदी के सबसे अहम तेल ठिकानों पर हमला हुआ जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति में पाँच फ़ीसदी आपूर्ति बाधित हो गई है. इस हमले की ज़िम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली है लेकिन इन्हें ईरान का समर्थन हासिल रहा है.
हमले के एक दिन बाद अमरीका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ईरान को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि इसके कोई सबूत नहीं हैं कि हमला यमन से हुआ है. इससे पहले ये कहा जा रहा था कि अमरीकी अमरीका में कहा जा रहा है कि सऊदी के जिन तेल ठिकानों को निशाने पर लिया गया है, उससे लगता नहीं है कि हमला यमन से हुआ है. कहा जा रहा है हमला शायद इराक़ या ईरान की तरफ़ से हुआ है. सीएनएन से अमरीकी अधिकारियों ने
कहा है कि हमले में सऊदी के 19 ठिकाने प्रभावित हुए हैं और ये 10 ड्रोन से संभव नहीं है. हूती ने दावा किया था कि हमले के लिए 10 ड्रोन भेजे थे. सीएनएन से उस अधिकारी ने कहा, ''आप 10 ड्रोन से 10 ठिकानों के निशाने पर नहीं ले सकते.''
सीएनएन से अधिकारियों ने सैटेलाइट इमेज साझा किया है. इसके ज़रिये कहा जा रहा है, ''सारे ठिकाने उत्तर-पश्चिम के प्रभावित हुए हैं जो कि यमन से निशाना बनाना बहुत मुश्किल है.''
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ड्रोन ईरान या इराक़ से आए लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर नहीं कहा जा रहा है. सीएनएन के सैन्य विशेषज्ञ रिटायर्ड कर्नल सेड्रिक लीगटन ने कहा, ''यह बहुत रणनीतिक हमला है. इसे इस तरह से प्लान किया गया कि रडार की पकड़ में ड्रोन नहीं आए. जिन ठिकानों को निशाने पर लिया गया, वो काफ़ी अहम हैं. यह कोई सरकार ही कर सकती है न कि विद्रोही समूह. ये ड्रोन या तो ईरान से आए या इराक़ से.''
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