महिला वकीलों की सुरक्षा के उपायों की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से साेमवार काे सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने काेर्ट काे बताया कि वकील अपने चैम्बराें में शराब पीते हैं। इस कारण विभिन्न कोर्ट परिसरों में महिलाओं से दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया को आदेश जारी कर इस बारे में गाइडलाइंस बनाने काे कहा जाना चाहिए। हालांकि, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मांग बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया के सामने रखें। हम इस पर सुनवाई नहीं करेंगे। याचिका आर्ट ऑफ़ लर्निंग नाम की संस्था ने दाखिल की थी।
इसमें दावा किया गया है कि अदालत परिसरों में शाम होते ही वकील चैम्बराें में शराब पीने लगते हैं। इस वजह से कोर्ट परिसर में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं। दिल्ली की जिला अदालत में वकील के चैम्बर में महिला से दुष्कर्म और यूपी
में बार काउंसिल अध्यक्ष की हत्या जैसी घटनाएं इसका उदाहरण हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की कि महिला वकीलों की सुरक्षा संबंधी उपायाें के लिए बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया को आदेश जारी किए जाएं। वकीलों काे अपने चैम्बर में शराब पीने से भी राेका जाए। वहां महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशाखा गाइडलाइंस का पालन हाेना चाहिए।
धार्मिक संस्थानाें में विशाखा गाइडलाइंस लागू करने की मांग से जुड़ी याचिका खारिज : धार्मिक संस्थानों में विशाखा गाइडलाइंस लागू करने की मांग से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। याचिका में कहा गया था कि धार्मिक संस्थानों मंदिर, चर्च, आश्रम, मदरसे और कैथोलिक संस्थाओं में भी महिलाएं काम करती हैं। वहां उनके यौन शोषण की घटनाएं भी होती हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि धार्मिक संस्थानों में विशाखा गाइडलाइंस लागू करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। यह याचिका वकील मनीष पाठक ने दायर की थी।
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