मुजफ्फरपुर जिले में जानलेवा बीमारी चमकी-बुखार से मौत का सिलसिला बुधवार को भी बदस्तूर जारी रहा। बुधवार को चार बच्चों ने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही पिछले 12 दिनों में मरनेवाले बच्चों की संख्या 64 पहुंच गई।
एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में कुल मिलाकर 22 नए मरीजों को शाम पांच बजे तक भर्ती कराया गया। बीते 12 दिनों में 64 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं कुल मिलाकर इस बीमारी से पीड़ित 176 मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि प्रशासन की बुलेटिन में ए आंकड़े अभी घट-बढ़ रहे हैं। पूरी संजीदगी से टीम डाटा अपडेट करने में भी लगी है। ताकि आगे केस हिस्ट्री के आधार पर बीमारी नियंत्रण को ब्लू प्रिंट तैयार किया जा सके।
इस बीच देर शाम में सात सदस्यीय केंद्रीय टीम हालात का जायजा लेने मुजफ्फरपुर पहुंची। टीम का नेतृत्व स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार डॉ.अरुण कुमार सिन्हा कर रहे थे। केंद्रीय टीम ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के साथ विकास भवन स्थित कार्यालय में बैठक की।
विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में स्थित 222 प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में बच्चों के इलाज की व्यवस्था की गयी है। बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों की पहचान अबतक नहीं की जा सकी है। चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा पूर्व में तैयार स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम
(एसओपी) के तहत बच्चों की जांच व इलाज किया जा रहा है। इसके लिए सभी संबंधित क्षेत्र के पीएचसी में जांच किट एवं दवाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। समय-समय पर इसकी समीक्षा भी की जा रही है।
हंसते-खेलते बच्चे को अचानक तेज बुखार के साथ चमकी आने लगती है। इस स्थिति अधिकांश बच्चे तुरंत बेहोश या बेसुध हो जाते हैं। कभी-कभी डायरिया की भी स्थिति सामने आती है। बच्चे के शरीर में कंपन्न होने लगती है। रुक-रुक कर उसका शरीर झटका देता है। डॉक्टरों का मानना है कि बच्चे में अचानक शुगर व सोडियम की कमी से ऐसा होता है। रात्रि 12 बजे के बाद व कई केस में सुबह तीन बजे भोर तक में भी यह समस्या देखी गई है।
अगर बच्चे को चमकी आने लगे और बेहोश हो जाए तो रात में ही किसी तरह से अस्पताल लेकर जाएं। ध्यान रखें अगर बच्चे का इलाज सुबह चार बजे से आठ बजे के बीच शुरू हुआ तो बच्चे के स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाएगी।
अधिक गर्मी में कभी भी एक से लेकर 15 साल तक के बच्चे को भूखे न सोने दें
हो सके तो रात में चीनी का घोल पिला दें या उपलब्ध रहने पर ओआरएस घोल पिलाएं
धूप में बच्चे को कम से कम जाने दें, बाग में खेलकूद की छूट भी बच्चों को न दें
मौसमी फल बच्चों को खिलाएं, कोल्ड ड्रिंक व रेफ्रीजेरेटर का ठंडा पानी न पिलाएं
उबले पानी को ठंडा कर पिलाएं या चापाकल-मोटर का ताजा पानी ही बच्चों को दें
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