अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: जैसे की 25 अक्टूबर यानी रविवार के दिन दशहरा मनाया जायेगा. कहते है कि इस दिन जगह-जगह रावण दहन किया जाता है. रावण दहन के साथ ही नवरात्रि की भी समाप्ति हो जाएगी. दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाते हैं पर कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावण को पूजा जाता है. इनमें सबसे खास है मध्य प्रदेश का मंदसौर शहर बताया जाता है. तो आइए जानाते मंदसौर से रावण का एक खास रिश्ता के बारे में---
प्राचीनकाल में मंदसौर को कहा जाता दशपुर
प्राचीनकाल में मंदसौर को दशपुर कहा जाता था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था और इसी वजह से यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं. दशहरा के दिन हर जगह रावण का पुतला जलाते हैं लेकिन मंदसौर में साल भर रावण की पूजा की जाती है.
जमाई जैसा दिया जाता है
सम्मान
मंदसौर में नामदेव समाज के लोग मंदोदरी को अपने वंश की बेटी बताते हैं और इस वजह से ही रावण को वहां आज भी जमाई जैसा सम्मान दिया जाता है. मंदसौर में रावण की एक विशाल प्रतिमा भी है जहां हर दिन लोग उसकी पूजा करने आते हैं. 41 फीट ऊंची और विशाल रावण की ये प्रतिमा लगभग चार सौ साल पुरानी मानी जाती है.
यहां औरतें रावण को दामाद मानती हैं इसलिए उसकी पूजा करने के दौरान घूंघट करती हैं. विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए यहां रावण की पूजा की जाती है.
दशहरा पर ढोल के साथ प्रतिमा की करते है पूजा
साथ ही यहां के लोग दशहरा के दिन सुबह-सुबह ढोल-बाजे के साथ जाकर रावण की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद राम और रावण की सेनाएं निकलती हैं और शाम के समय रावण दहन किया जाता है. दहन से पहले लोग रावण से क्षमा याचना मांगते है.
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