पश्चिम बंगाल की आइशी घोष होंगी जेएनयू नई प्रेसीडेंट

पीलीभीत में सड़क सुरक्षा जागरूकता को स्कूलों में दिलाई गई शपथ चुनाव प्रचार समाप्त लू और तापघात चिराग पासवान ने महेश्वर हजारी पर हमला बोला Airtel ने इंटरनेशनल रोमिंग पैकेज लॉन्च किया 30 अप्रैल को कोर्ट में फिर से पेश होंगे बाबा रामदेव पवन सिंह ने रोहतास में शुरू किया रोड शो चित्रकूट में हनुमान जन्मोत्सव पर विविधि कार्यक्रम भगवान हनुमान जी के जन्मोत्सव पर आज हनुमान मंदिर में की जा रही विधिवत पूजा अर्चना ललितपुर में दो बाइकों की टक्कर में दो की लोगों की मौत प्रशांत किशोर ने कहा शिक्षा का स्तर बढ़ाए सरकार सहरसा में वीर कुंवर सिंह जयंती समारोह बदायूं से ग्यारह प्रत्याशी मैदान में। हनुमान जयंती प्रधानमंत्री-प्रदेश दौरा आज का राशिफल लू की चेतावनी के बीच निर्वाचन आयोग ने आज विभिन्‍न पक्षों के साथ बैठक की यूक्रेन युद्ध से हुआ हृदय परिवर्तन, यूक्रेन की मडिया बनी करणेश्वरी संजय निषाद पर हमला जिला सहकारी बैंक के वर्तमान अध्यक्ष का नवाज खान पर बड़ा आरोप ।

पश्चिम बंगाल की आइशी घोष होंगी जेएनयू नई प्रेसीडेंट

Jyotsana Yadav 18-09-2019 13:25:23

पश्चिम बंगाल के छोटे से शहर दुर्गापुर से पढ़ने दिल्ली आई आइशीघोष अब जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्रसंघ की नई अध्यक्ष हैं. दौलतराम कॉलेज से पॉलिटिक्स की पढ़ाई करने के बाद फिलहाल वो जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से एमफिल की छात्रा हैं. यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से छात्र हितों को लेकर लिए गए किसी भी निर्णय में खामी पाए जाने पर वो विरोध के सुर उठाती रही हैं. बीते दिनों एमबीए की 12 लाख रुपये तक बढ़ी फीस को लेकर वो भूख हड़ताल पर भी बैठी थीं.

 बातचीत में आइशी ने कहा कि जेएनयू ऐसा कैंपस है जो बराबरी के लिए जाना जाता है. यहां एक संगठन जहां पूरी तरह स्त्रीविरोधी मानसिकता वाला है तो वहीं कैंपस का मूल स्वभाव बराबरी है. यहां मुझे पूरे कैंपस ने सपोर्ट किया है. स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया संगठन से जुड़ी आइशी घोष की इस जीत को बहुत ऐतिहासिक माना जा रहा
है. कैंपस में पूरे 13 साल बाद इस संगठन से कोई अध्यक्ष चुना गया है.

आइश कहती हैं कि ये जीत स्टूडेंट कम्युनिटी की है. आइशीने कहा कि वो यहां भविष्य में हॉस्टल और रीडिंग रूम का मुद्दा उठाएंगी. वो कहती हैं कि जेएनयू की अपनी संस्कृति है, आज जेएनयू में मेरे जैसी छोटे शहर से आई लड़की प्रेसीडेंट बनी है तो जरूर कुछ तो बात है इस कैंपस में. यहां हर तबके से आकर लोग पढ़ सकते हैं, साथ ही पहचान भी बना सकते हैं. लेकिन कुछ दिनों से कैंपस को प्राइवेटाइजेशन की ओर ले जाने की तैयारी चल रही है. हमारा अगला मुकाबला इसी व्यवस्था से होगा. अपने आगे के भविष्य के बारे में वो कहती हैं कि मैं जेएनयू के बाहर देश की राजनीति में भी जाना पसंद करूंगी. मुझे लगता है कि महिलाएं राजनीति के जरिये ही समाज में अपने लिए पल रही सोच को बदल सकती हैं

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :