बेईमानों का राज है जहां में तो क्या हुआ ईमान भी जिंदा है। एक चुटकी भी हो तो क्या हुआ ईमान जिंदा है। राजधानी रांची की एक महिला ने ईमानदारी की कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है। जिससे हम कह सकते हैैं कि अभी ईमान जिंदा है, ईमानदारी बाकी है। इस कलियुगी जमाने में जहां एक-एक पैसे को लेकर लालच का जाल बिछा है, वहीं इस महिला ने एकमुश्त 50 हजार रुपये मिलने पर भी अपना ईमान नहीं डिगाया। लोग सड़क पर दस का गिरा हुआ नोट भी अपने जेब में रख लेते हैैं। नजरें बचाते-छुपाते हुए। उस जमाने में सड़क पर गिरे 50 हजार रूपा को मिले तो लालच ने उसके मन को नहीं घेरा। पांच-पांच सौ के हरे नोट उसके साफ मन को मलिन नहीं कर सके। उसने वो पैसे जिसके थे, उसे वापस कर दिए।
घटना शुक्रवार की है। रांची के कांके इलाके की रहने वाली महिला रूपा देवी शाम 5 बजे अपनी बेटी के साथ बाजार करने अलबर्ट एक्का चौक पहुंची थी। वो और उनकी बेटी फास्ट फूड के काउंटर पर चाउमिन खा रहीं थी। तभी सड़क पर रुपये से भरा बंडल गिरी हुई दिखी। एकबारगी इतना पैसा हाथ में आने के बाद उसे इन रुपयों के नकली होने का भी शक
हुआ। लेकिन बंडल पर बैंक ऑफ इंडिया का स्लिप लगा हुआ था। रूपा ने तत्काल पैसे को अलबर्ट एक्का स्थित ब्रांच में जमा करने का फैसला किया।
स्थानीय दुकानदारों को भी इसके बारे में पता चला। कुछ समय पहले ही स्थानीय दुकानदारों को हरमू निवासी शिवचंद्र सिंह ने बताया था कि उन्होंने मकान निर्माण के लिए कुछ रुपये बैंक से निकाले हैं। इसके बाद शिवचंद्र सिंह को खबर दी गई। शिवचंद्र सिंह ने बताया कि बैंक ऑफ इंडिया से उन्होंने 70 हजार रुपए निकाले थे। पचास हजार और बीस हजार के दो अलग बंडल बनाकर दो जेब में रख लिए थे। बेटे के साथ बाइक पर घर पहुंचे तो फिरायालाल चौक के एक दुकानदार ने उन्हें फोन कर पूछा कि आपका पैसा गिरा है क्या। पाकेट से जब नोट का बंडल गायब मिला तो वे वहां पहुंचे। महिला ने सभी लोगों की मौजूदगी में उन्हें राशि सौंप दी।
शिवचंद्र बोले-जीवन का अविस्मरणीय अनुभव
जब खोये पैसे शिवचंद्र सिंह को मिले तो मुंह से एक ही शब्द निकला अविस्मरणीय। भावुक हो गए। बच्ची को एक हजार रुपए मिठाई खाने को दिए। जो पैसे मिले उसे गिना तक नहीं। बच्ची ने पहले तो रुपए लेने से मना किया पर मां के कहने पर आशीर्वाद स्वरूप ले लिए।
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments