उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए सबसे बड़ा वांछित अपराधी बन चुका विकास दुबे आखिरकार कानून के शिकंजे में आ चुका है। 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास की गिरफ्तारी गुरुवार को नाटकीय अंदाज में मध्य प्रदेश के उज्जैन से हुई। महाकाल मंदिर में उसने खुद अपनी पहचान बताई- मैं हूं विकास दुबे, कानपुरवाला। जिस अपराधी को पुलिस दिल्ली, हरियाणा, यूपी के बीहड़ से पड़ोसी देश नेपाल तक में तलाशती रही वह ऐसे स्थान पर मिला जहां शक की सुई नहीं गई थी। अभी कई सवाल बरकरार हैं जिनका पुलिस को जवाब देना है। आखिर वह किस तरह एक सप्ताह तक कानून के हाथ से बचता रहा और फरीदाबाद से होटल से बचकर निकलने के बाद करीब 80 महाकाल मंदिर में उसने खुद अपनी पहचान बताई- मैं हूं विकास दुबे, कानपुरवाला। जिस अपराधी को पुलिस दिल्ली, हरियाणा, यूपी के बीहड़ से पड़ोसी देश नेपाल तक में तलाशती रही वह ऐसे स्थान पर मिला जहां शक की सुई नहीं गई थी। अभी कई सवाल बरकरार हैं जिनका पुलिस को जवाब देना है। आखिर वह किस तरह एक सप्ताह तक कानून के हाथ से बचता रहा और फरीदाबाद से होटल से बचकर निकलने के बाद करीब 800 किलोमीटर दूर उज्जैन तक कैसे पहुंचा।
दुबे को दबोचे जाने के लिए मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा तक ने पुलिस की पीठ थपथपाई है। नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'हमारी पुलिस किसी को नहीं छोड़ती। हमारे पुलिस वालों ने उसे धर दबोचा।' हालांकि, मीडिया के कैमरों में कैद फुटेज में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी जब उसका कॉलर पकड़कर ले जा रहे हैं तो वह चिल्लाते हुए अपनी पहचान बताता है, 'मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला।'
माना जा रहा है कि विकास दुबे को एनकाउंटर के डर से सरेंडर के लिए एक सेफ जगह की तलाश थी। पहले बुधवार शाम को खबर आई कि वह नोएडा के फिल्म सिटी में एक टीवी
स्टूडियो में खुद को सरेंडर करेगा। इसके बाद फिल्म सिटी में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई। इस बीच, गुरुवार सुबह भी उसके दो साथियों प्रभात और बउअन दुबे को कानपुर और इटावा में ढेर कर दिया गया। बुधवार को उसके शार्प शूटर अमर का अंत भी इसी अंदाज में हुआ था। इससे पहले शुक्रवार को उसके दो साथियों प्रकाश पांडे और अतुल दुबे को पुलिस ने मार गिराया था।
मध्य प्रदेश पुलिस इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर विकास दुबे की गिरफ्तारी का दावा कर रही है लेकिन सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे ने खुद मंदिर परिसर में कई लोगों को अपनी पहचान बताई। आखिर जो शख्स एक सप्ताह तक पुलिस को गज्जा देता रहा वह एक हाई सिक्यॉरिटी जोन में क्यों जाएगा? उसने अपनी पहचान छिपाने की कोशिश क्यों नहीं की? कई तरह के अपराधों में शामिल रहा शख्स क्या मंदिर में पूजा के उद्देश्य से गया था?
[removed]Vikas Dubey was going to Ujjain Mahakal temple when he was identified by security personnel. Police were informed, he confessed his identity after being pushed for it. He has been apprehended by police & interrogation is underway: Ashish Singh, Ujjain Collector #MadhyaPradesh https://t.co/tBNHn3pwuw
— ANI (@ANI) July 9, 2020
यूपी पुलिस के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि यह पूरी तरह से सोच-समझकर किया गया सरेंडर है। यदि वह अब भी पुलिस से छिप रहा था तो मंदिर परिसर में बिना मास्क पहने क्यों जाता? वह जानता था कि यदि इसी तरह भागता रहा और पुलिस से अब कहीं भिड़ने की कोशिश की तो जिस तरह उसके साथ मारे गए वह भी कहीं ढेर हो जाएगा। इसलिए उसने मंदिर जैसे स्थान को चुना।
पुलिसकर्मियों की हत्या सहित दुबे के खिलाफ 60 केस दर्ज हैं। वह कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद 3 जुलाई से फरार था। योगी सरकार ने दुबे के सिर पर 5 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया था।
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