उत्तर प्रदेश के सोनभद्र गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों से शनिवार को आखिरकार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुलाकात की। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने पीड़ित परिवार से प्रियंका गांधी की मुलाकात करवाई। पीड़ितों के परिवार के लोग प्रियंका से मिलने गेस्ट हाउस के बाहर तक पहुंचे। जिसके बाद उन्हें गेट पर ही रोका गया। जब प्रियंका खुद मिलने जाने लगीं तो पुलिस ने उन्हें रोका दिया। इसके बाद पीड़ितों के परिजनों को अंदर बुलाने का आश्वासन दिया। बताया जा रहा है कि कुल 15 लोग सोनभद्र से प्रियंका से मिलने पहुंचे हैं।
आपको बता दें कि शुक्रवार की दोपहर प्रियंका गांधी को हिरासत में लिया गया था और वह पिछले 24 घण्टे बाद भी चुनार के गेस्ट हाउस में धरने पर बैठी हैं। प्रियंका बिना पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात किये वापस जाने को तैयार नहीं थीं। देर रात अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने अपना रुख कुछ लचीला भी किया था और पीड़ितों के परिजनों से कहीं भी मुलाकात को तैयार हो गई थीं लेकिन प्रशासन ने कोई आश्वासन नहीं दिया।
प्रियंका को वाराणसी के ट्रामा सेंटर से निकलते ही नारायनपुर में हिरासत में ले लिया गया था। उन्हें एसडीएम की गाड़ी से चुनार किले के गेस्ट हाउस लाया गया और सोनभद्र के अलावा कहीं भी जाने की छूट दी गई। प्रियंका केवल सोनभद्र ही जाने और पीड़ितों के परिजनों से मिलने पर अड़ी रहीं। प्रियंका को मनाने के लिए देर रात करीब 11 बजे वाराणसी से एडीजी ब्रजभूषण और कमिश्नर दीपक अग्रवाल भी पहुंचे और दो दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला।
चुनार के जिस गेस्ट हाउस में प्रियंका गांधी को रखा गया है वहां रात भर कार्यकर्ताओं का भी जमावड़ा लगा रहा। रात भर गेस्ट हाउस पर भीड़ कुछ कम रही। सुबह होते ही एक बार फिर भीड़ बढ़ने लगी है। राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया रात तीन बजे तक यहीं रहने के बाद सुबह सात बजे फिर पहुंच गए हैं।
चुनार किला स्थित गेस्ट हाउस में आधी रात के बाद प्रियंका गांधी को पिछले दरवाजे पर टहलते देख अधिकारियों की सांसें अटक गईं। एसडीएम मड़िहान के निर्देश पर तत्काल वहां फोर्स की तैनाती की गई और जवानों को विशेष निर्देश दिए गए।
प्रियंका गांधी शुक्रवार की रात दो बजे तक कई दौर में अधिकारियों के साथ बैठक करती रहीं। पहले उन्हें मनाने मिर्ज़ापुर के एसपी और डीएम पहुंचे। कोई हल नहीं निकलने पर वाराणसी से एडीजी और कमिश्नर के साथ मिर्ज़ापुर के कमिश्नर और डीआईजी पहुंचे। चारों अधिकारियों के साथ दो दौर में रात एक बजे तक बैठक चलती रही। अधिकारियों के जाने के बाद प्रियंका अपने नेताओं से मिलती रहीं। रात ढाई बजे के बाद तक वह गेस्ट हाउस के कमरे में पीएल पुनिया से बातें करती रहीं। बातचीत के दौरान ही वह गेस्ट हाउस के पिछले दरवाजे से बाहर आकर टहलने लगीं। अभी तक इस गेट पर केवल एसपीजी के जवान ही तैनात थे। प्रियंका को पिछले गेट से निकलकर टहलते देख जिला प्रशासन के अधिकारियों के होश उड़ गए। एसडीएम मड़िहान सुरेंद्र बहादुर सिंह ने तत्काल वहां भी फोर्स की तैनाती कराई।
17 जुलाई को सोनभद्र में घोरावल के उभ्भा गांव में 112 बीघा खेत के लिए दस ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया गया था। लगभग चार करोड़ रुपए की कीमत की इस जमीन के लिए प्रधान और उसके पक्ष ने ग्रामीणों पर अंधाधुन फायरिंग कर दी थी। इस हादसे में 25 अन्य लोग घायल हो गए थे।
सोनभद्र में घोरावल के उम्भा गांव में 112 बीघा खेत जोतने के लिए गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर 32 ट्रैक्टर लेकर पहुंचा था। इन ट्रैक्टरों पर लगभग 60 से 70 लोग सवार थे। यह लोग अपने साथ लाठी-डंडा, भाला-बल्लम और राइफल और बंदूक लेकर आए थे। गांव में पहुंचते ही इन लोगों ने ट्रैक्टरों से खेत जोतना शुरू कर दिया। जब ग्रामीणों ने विरोध किया तो यज्ञदत्त और उनके लोगों ने ग्रामीणों पर लाठी-डंडा, भाला-बल्लम के साथ ही राइफल और बंदूक से भी गोलियां चलानी शुरू कर दी।
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