अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
गुरुग्राम: एनसीआर की मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में कई नामी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना अभिभावकों का सपना होता है. इन्हीं स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को अब स्कूल फीस देने के लिए अपने गहने बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. अर्द्धवार्षिक परीक्षा का हवाला देते हुए प्राइवेट स्कूल फीस की डिमांड कर रहे हैं.
लॉकडाउन के कारण कई अभिभावकों की माली हालत पतली है, ऐसे में उन्हें बच्चों की फीस भरने के लिए अपनी जमा पूंजी एफडी भी तुड़वानी पड़ रही है. एक अभिभावक का कहना है कि निजी स्कूल में पढ़ने वाले उनके बेटे के लिए वो स्कूल में अब तक 70 हजार रुपये की फीस जमा कर चुके हैं, इसके लिए उन्होंने घर पर रखे गहनों को गिरवी रखा.
शिक्षा निदेशालय के आदेशों का हो रहा उल्लंघन
वहीं एक अभिभावक ने बताया कि उन्होंने फीस भरने के लिए एफडी तुड़वाई, फीस जमा करने
के बाद ही अर्द्धवार्षिक परीक्षा में बच्चे को बैठने दिया गया. शिक्षा निदेशालय के आदेश के अनुसार स्कूल ट्रांस्पोर्ट फीस नहीं ले सकते. इसके अलावा अगर कोई अभिभावक फीस देने में असमर्थ है तो उसे कुछ दिन की मौहलत भी दी जानी चाहीए, लेकिन निदेशालय के आदेशों का उल्लंघन कर स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं, और ट्रांस्पोर्ट समेत अन्य शुल्क को भी स्कूल फीस में जोड़ा जा रहा है.
43 हजार से ज्यादा बच्चों ने छोड़े प्राइवेट स्कूल
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना लॉकडाउन के कारण लोगों की आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी है कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने वहां से नाम कटवा लिए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाण के 43,293 छात्र प्राइवेट स्कूलों से नाम कटा कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले चुके हैं. इसमें से 2453 छात्र गुरुग्राम के ही हैं। वहीं फरीदाबाद के 2047 छात्रों ने प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाया है.
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