भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में सोमवार की रात हिंसा झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी और 2 जवान शहीद हो गए। इसके बाद लगातार देश में उच्चस्तरीय बैठकों का दौर जारी है। ऐसी खबर है कि इस हिंसक घटना में भी चीन का भी नुकसान हुआ है और उसके जवान मारे गए हैं। इस बीच, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भारत की सीमा पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरी तरह से सुरक्षित है और सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि तनाव कम करने की प्रक्रिया के दौरान लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प हुई। भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। दुर्भाग्य से इस दौरान हमारे 3 जवान शहीद हो गए।
[removed]Borders of India will remain intact&are intact under leadership of PM. During de-escalation process that was underway in Galwan Valley in Ladakh,violent face-off took place with Chinese Army.Indian Army gave befitting reply.Unfortunately,we lost our 3 army men: BJP Pres JP Nadda pic.twitter.com/vmCxEhebY2
— ANI (@ANI) June 16, 2020
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, "मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हमारे पास राजनीतिक इच्छा शक्ति है और हमारी सेना पूरी तरह से किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए तैयार है। कोई भी पीएम मोदी के भारत को बुरी आंख से नहीं देख सकता है।"
चीन की सीमा पर लगभग 45 साल बाद, भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की इस तरह शहादत की पहली घटना है। सेना ने कहा कि हिंसक टकराव के दौरान एक अधिकारी व दो जवान शहीद हुए जबकि चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ है। हालांकि कितना नुकसान हुआ है यह अभी स्पष्ट नहीं है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, तीनों सेनाओं के प्रमुख व विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस टकराव के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख के संपूर्ण घटनाक्रम से अवगत कराया।सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में हुए संघर्ष में चार भारतीय जवानों की शहादत के बाद यह इस तरह की पहली घटना है। सैन्य सूत्रों ने कहा कि दोनों सेनाओं के बीच घटनास्थल पर मेजर जनरल स्तर की बातचीत चल रही है।
सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ''गलवान घाटी में तनाव कम करने की प्रक्रिया के दौरान सोमवार रात हिंसक टकराव हो गया। इस दौरान भारतीय सेना का एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए।'' इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों की ओर से सेना के वरिष्ठ अधिकारी तनाव कम करने के लिये घटनास्थल पर संवाद कर रहे हैं।'' बताया जा रहा है कि हिंसक टकराव के दौरान शहीद अधिकारी कर्नल व गलवान में एक बटालियन के कमांडिंग अफसर थे। तीनों सैनिक चीन की ओर से किए गए पथराव में घायल हुए जिसके बाद उनका निधन हो गया। हालांकि अभी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि दोनों ओर से कोई गोलीबारी नहीं हुई। सूत्रों ने कहा
कि सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने पूर्वी लद्दाख में हुई इस घटना के बाद पठानकोट की अपनी प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी। चीन ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने 15 जून को दो बार ''अवैध गतिविधियों के लिए सीमा रेखा लांघी और चीन के कर्मियों को उकसाया तथा उन पर हमले किए जिसके कारण दोनों पक्षों के बीच गंभीर मारपीट हुई।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिनजियान ने कहा, ''हम एक बार फिर भारतीय पक्ष से कहते हैं कि सहमति का पालन करें, अग्रिम मोर्चे के अपने सैनिकों पर कड़ाई से नियंत्रण करें और रेखा नहीं लांघें, समस्या पैदा नहीं करें या एकतरफा कदम नहीं उठाएं जिससे मामला जटिल बन जाए। पिछले पांच हफ्तों से गलवान घाटी समेत पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में बड़ी संख्या में भारतीय और चीनी सैनिक आमने सामने हैं। इस बीच, भाजपा सांसद राजीव चन्द्रशेखर ने भारतीय सैनिकों की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए लोगों से सुरक्षा बलों के साथ खड़े रहने की अपील की।
उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए ट्वीट किया, ''सीपीसी को बताना चाहता हूं कि भारत ने कभी किसी देश के साथ झड़प नहीं की। लेकिन जब इसके खिलाफ हिंसा की जाती है तो यह एकजुट होकर मुंहतोड़ जवाब देता है।''
उधर, गलवान घाटी की यह घटना भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के उस बयान के कुछ दिन बाद हुई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के सैनिक गलवान घाटी से पीछे हट रहे हैं। चीन की सरकार द्वारा संचालित समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक खबर में दावा किया भारतीय सैनिकों ने झड़प की शुरुआत की। वे चीनी क्षेत्र में घुस आए और चीन के सैनिकों पर हमला कर दिया।
भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलतबेग ओल्डी में तनाव चल रहा है। बड़ी संख्या में चीनी सैनिक वास्तविक सीमा पर पैंगोंग झील सहित कई भारतीय क्षेत्रों में घुस आए थे। भारत ने इसका कड़ा विरोध करते हुए चीनी सैनिकों को इलाके में शांति बहाल करने के लिये तुरंत पीछे हटने के लिये कहा। दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिये बीते कुछ दिनों में कई बार बातचीत हो चुकी है।
इस विवाद को खत्म करने के लिये पहली बार गंभीरता से प्रयास करते हुए लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत सैन्य जिले के मेजर जनरल लीयू लिन ने छह जून को करीब सात घंटे तक बैठक की थी।
बैठक के बाद मेजर जनरल स्तर की दो दौर की वार्ता हुई। भारतीय पक्ष उन क्षेत्रों में से हजारों चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दे रहा है, जिन्हें भारत अपना क्षेत्र मानता है। इससे पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि दोनों देशों की सेना चरणबद्ध तरीके से वापस लौट रही हैं। उन्होंने कहा था, ''हमने गलवान नदी के उत्तर की ओर से अपने सैनिक हटाने शुरू किये हैं, जहां काफी तनाव हुआ था। दोनों देशों के बीच काफी सकारात्मक संवाद हुआ है।''
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