डीएमआरसी के मुताबिक पिंक (मजलिस पार्क-शिव विहार) और मजेंटा (बॉटनिकल गार्डन-जनकपुरी वेस्ट) लाइनों पर अब तक ट्रेन को ड्राइवर द्वारा स्टार्ट किया जाता है और सिग्नल सिस्टम से स्पीड कंट्रोल और गेट खोलने जैसे काम किए जाते हैं। ड्राइवर का काम सिर्फ ट्रेन के दरवाजे बंद करना है।
नई तकनीक के तहत इन लाइनों पर ट्रेनों को पहले ड्राइवरलेस ट्रेन ऑपरेशन (डीटीओ) के तहत चलाने की योजना है। इसके अनअटेंड ट्रेन ऑपरेशन (यूटीओ) पर चलाया जाएगा।
डीएमआरसी का कहना है कि पिंक और मजेंटा लाइन पर सीबीटीसी तकनीक लागू होने से ट्रेनों में तैनात ट्रेन ऑपरेटर्स की जगह रोमिंग अटेंडेंट ले लेंगे। इनका काम ट्रेन में घूमना और यात्रियों की परेशानियों का जायजा लेना होगा।
पांच तकनीक पर चल सकती है दिल्ली मेट्रो
दिल्ली मेट्रो नेटवर्क पर वर्तमान में चल रहीं ट्रेनों को पांच तकनीकों के तहत चलाया जा सकता है।
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जीओए तकनीक
इस तकनीक के तहत ट्रेन को पूरी तरह ड्राइवर चलाता है, लेकिन दिल्ली मेट्रो नेटवर्क पर इसका प्रयोग नहीं किया जाता।
ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी)
वर्ष 2002 में दिल्ली मेट्रो की सभी ट्रेनें इस तकनीक पर चलती थीं। लेकिन वर्तमान में सिर्फ रेड लाइन पर इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इस सिस्टम के तहत ट्रेन ऑपरेटर के पास ट्रेन का पूरा कंट्रोल होता है। ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम मॉनिटरिंग करता है।
ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ)
इस सिस्टम के तहत ड्राइवर ट्रेन को स्टार्ट करता है और सिग्नल सिस्टम से इसे कंट्रोल करता है। वर्तमान में येलो लाइन (समयपुर बादली-हुड्डा सिटी सेंटर) इस तकनीक पर चलाई जा रही है।
ड्राइवरलेस ट्रेन ऑपरेशन (डीटीओ)
इस सिस्टम के तहत ट्रेन ऑपरेटर की जगह ट्रेन अटेंडेंट ले लेता है। इस सिस्टम के तहत अगले साल मई में पिंक और मजेंटा लाइन को चलाया जा सकता है।
अनअटेंड ट्रेन ऑपरेशन (यूटीओ)
इस सिस्टम में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर के जरिये ट्रेन कंट्रोल होती है। ट्रेन में कोई ट्रेन ऑपरेटर या सहायक नहीं होता। हालांकि आपातकालीन स्थिति में यात्री फोन के जरिये डीएमआरसी से संपर्क कर सकते हैं। पिंक और मजेंटा लाइन पर इसी तकनीक के आधार पर ट्रेनों को ड्राइवरलेस तरीके से चलाया जाएगा।
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