जम्मू कश्मीर में सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पंचायत उप-चुनाव को टाल दिया गया है। जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने मंगवाल की रात कहा कि जल्द से जल्द उपयुक्त सभी चिंताओं को दूर करने के बाद संभवत: दो से तीन सप्ताह में चुनाव के लिए नई तारीख घोषित की जाएगी। उप-चुनाव टालने के फैसले को लेकर राज्य की राजनीतिक पार्टियों ने सवाल खड़े किए हैं।
जम्मू कश्मीर उप-चुनाव टाले जाने के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, जिनको फिलहाल पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया है, ने कहा है कि चुनाव स्थगित करने का फैसला दिखाता है कि कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है। पीडीपी के प्रवक्ता ताहिर सईद ने कहा कि राज्य में 370 को निरस्त होने के बाद सभी बीजेपी नेता दावा कर रहे थे कि कश्मीर में स्थिति सामान्य है, लेकिन उप-चुनावों को स्थगित करना यह सकेंत है कि यहां सब ठीक नहीं है।
सईद ने कहा कि सरकार के पास कोई रोडमैप या योजना नहीं है। वे भी नहीं जानते है कि अब क्या करना है। पहले उन्होंने चुनावों की घोषणा की और अब उन्होंने खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि पिछली बार उसी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव कराने के बारे में लंबे दावे किए थे लेकिन अब लगभग 12000 रिक्त सीटों
के लिए चुनाव कराने की कोशिश की जा रही है। जिससे यह साबित हुआ कि लोगों ने 2018 में हुए पंचायत चुनावों में भाग नहीं लिया था।
बता दें कि मंगलवार की रात जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें सुरक्षा चिंताओं को लेकर उपचुनावों को टालने की घोषणा की गई। जबकि पिछले हफ्ते ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश में रिक्त 11,639 पंचायतों की सीटों पर उप-चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी की थी। पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला चुनाव होनो वाला था।
मंगलवार की रात, जम्मू और कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, शैलेंद्र कुमार ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें सुरक्षा चिंताओं को लेकर उपचुनावों को टालने की घोषणा की गई। पिछले हफ्ते, J & K सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में रिक्त 11,639 पंचायतों की सीटों को भरने के लिए अधिसूचना जारी की थी। पिछले अगस्त में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद उपचुनाव पहला चुनाव होगा। उपचुनाव 5 मार्च से आठ चरणों में होने थे।
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