संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जनवरी 2021 से अस्थायी सदस्य के रूप में अपनी भूमिका शुरू करने से पहले भारत ने कूटनीतिक मौजूदगी को और अधिक मजबूत करने का फैसला किया है। इसके लिए भारत ने अतिरिक्त उप स्थायी प्रतिनिधि (DPR) और काउंसलर की नियुक्ति की है जो UNSC के मामलों को देखेंगे। विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर खुद हर महीने भारतीय समीक्षा करेंगे।
साउथ ब्लॉक के मुताबिक, 1999 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी और संयुक्त सचिव (मध्य और पश्चिम अफ्रीका) आर रविंद्रन न्यूयॉर्क में भारतीय स्थायी मिशन में DPR के समकक्ष रैंक पर जॉइन करेंगे। 2007 के आईएफएस ऑफिसर और पीएमओ में उपसचिव प्रतीक माथुर काउंसलर (UNSC) नियुक्त होंगे।
मिशन की अगुआई पहले से ही टीएस त्रिमूर्ति कर रहे हैं और नागराज नायडू DPR हैं। दोनों नए अधिकारी 15 सितंबर 2020 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की शुरुआत से पहले समूह में शामिल होंगे। नए अस्थायी सदस्य के लिए आधिकारिक रूप से UNSC में शामिल होने से महीनों पहले तैयारी शुरू हो जाती है।
रविंद्रन UNPR में हरदीप सिंह पुरी, जो अब नागरिक उड्डयन मंत्री हैं, के साथ सेवा
दे चुके हैं। पुरी ने 2011-12 में मिशन की अगुआई की थी जब भारत अस्थायी सदस्य था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने UNSC में भारतीय रुख को 5S, सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति (वैश्विक शांति) और समृद्धि (वैश्विक समृद्धि) से परिभाषित किया है।
UNSC सीट के लिए भारत को 192 में से 184 वोट मिल थे। इतने अधिक समर्थन ने सभी को हैरान किया था क्योंकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की वजह से भारत के दुश्मनों खासकर पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और चीन ने भारत के खिलाफ भ्रामक प्रचार अभियान चलाया था।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ''हमारा मानना है कि भारत को इतने वोट इसलिए मिले क्योंकि यह जून में पूर्वी लद्दाख में चीन के खिलाफ खड़ा हुआ। 129 वोटों की ही जरूरत थी, लेकिन भारत को अतिरिक्त वोट अपनी जमीन की रक्षा के लिए लड़ने की क्षमता की वजह से मिले।'' कूटनीतिज्ञ इस बात को भी रेखांकित करते हैं कि नई दिल्ली UNSC में रचनात्मक भूमिका के लिए तैयारी में जुटा है, लेकिन यह नहीं भूला है कि स्थायी सदस्य बनने के लिए 75 वर्षों से इंतजार कर रहा है।
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments