सोनांचल की कोख खनिज संपदा से लबालब है, भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) ने सोनभद्र के दो स्थानों पर करीब तीन हजार टन सोने का अयस्क मिला है। इससे करीब डेढ़ हजार टन सोना निकाला जा सकेगा। इसी तरह जीएसआइ ने 90 टन एंडालुसाइट, नौ टन पोटाश, 18.87 टन लौह अयस्क व 10 लाख टन सिलेमिनाइट के भंडार की भी खोज की है। भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशक रोशन जैकब ने मुख्य खनिजों की नीलामी के आदेश जारी कर दिए हैं। अब उम्मीद जगी है कि सोने के भंडार से सोनभद्र जिला विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल होगा।
नीलामी से पहले, चिह्नित खनिज स्थलों की जियो टैगिंग के लिए गठित सात सदस्यीय टीम 22 फरवरी तक खनन निदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद राज्य को जिम्मेदारी सौंपते हुए केंद्र सरकार ई-निविदा जारी करने का निर्देश देगी। निविदा को हरी झंडी मिलने के बाद खनन को अनुमति मिलेगी।
जीएसआइ के मुताबिक सोनभद्र की सोन पहाड़ी पर 2943.26 टन सोना और हरदी ब्लॉक में 646.15 किलो सोने का भंडार है। इसी प्रकार पुलवार ब्लॉक में दो स्थानों पर 12.7 टन और 22.16 टन तथा सलइयाडीह ब्लॉक में 60.18 टन एंडालुसाइट का भंडार है। पटवध ब्लॉक में 9.15 टन पोटाश व भरहरी ब्लॉक में 14.87 टन लौह अयस्क और छिपिया ब्लॉक में 9.8 टन सिलीमैनाइट के भंडार की खोज
की गई है।
जीएसआइ की टीम ने वर्ष 2005 से 2012 तक इस दिशा में काम किया था। सोने के भंडार की पुष्टि वर्ष 2012 में हुई थी लेकिन, इस दिशा में काम अब शुरू हो रहा है। देरी के पीछे अफसरों ने सोने की गुणवत्ता व सरकार के आदेश का हवाला दिया है।
सिलीमैनाइट एक अलुमिनो-सिलिकेट खनिज है। इसका नाम अमेरिका के रसायन शास्त्री बेंजामिन सिलीमैन के नाम पर पड़ा है। तापरोधक सामग्री के अतिरिक्त इसका उपयोग अन्य कार्यों में होता है। एंडालुसाइट का प्रयोग स्पार्क प्लग और पोर्सिलेन बनाने में होता है। उत्तर प्रदेश में मीरजापुर समेत कई स्थानों पर यह मिलता है।
जीएसआइ की टीम लंबे समय से यहां काम कर रही थी। अब नीलामी को लेकर आदेश आ चुका है। इसी क्रम में जियो टैगिंग शुरू की गई है। जल्द ही नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिले में यूरेनियम के भंडार का भी अनुमान है, इसके लिए केंद्रीय कुछ अन्य टीमें खोज में लगी हैं।
- केके राय, वरिष्ठ खान अधिकारी।
प्राकृतिक अवस्था में मिलने वाले खनिज पदार्थ जिनमें कोई धातु आदि महत्वपूर्ण तत्व हों अयस्क कहलाते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों के अयस्क की गुणवत्ता भिन्न होती है। तीन हजार टन सोने के अयस्क में से कितना सोना निकलेगा यह उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करेगा।
- डा. रोहताश, असिस्टेंट प्रोफेसर (भू-भौतिकी विभाग-बीएचयू)।
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