मथुरा। संस्कृति यूनानी मेडिकल कालेज और अस्पताल के विद्यार्थियों ने उत्साह के साथ ‘यूनानी दिवस’ मनाया। यूनानी शोधकर्ता हकीम अजमल खां के जन्मदिन की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाने वाला यह दिवस विवि के छात्रों ने एक समारोह के रूप में मनाया। समारोह के दौरान विशेष रूप से तैयार किया गया केक भी काटा गया।
समारोह में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने कहा कि एक पेशेवर चिकित्सक बनने के साथ-साथ आपको एक अच्छा इंसान भी बनना है। एक अच्छे व्यवहार वाला कुशल चिकित्सक इलाज के साथ-साथ मरीज को मानसिक राहत भी प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि यूनानी चिकित्सा एक किस्म की पर्शियन अरबी पारंपरिक औषधि प्रणाली है। इसका उपयोग मुगलकालीन भारत में किया गया, इसके अतिरिक्त दक्षिण एशियाई तथा मध्य एशिया में भी यूनानी
चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया जाता है। इसका प्रारंभ यूनान में हुआ था। उन्होंने यूनानी चिकित्सा का अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए यूनानी चिकित्सा पद्धति सप्ताह मनाने के लिए प्रेरित किया।
समारोह के दौरान विवि की विशेष कार्याधिकारी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने विशेष रूप से तैयार केक काटा। विवि के कुलपति डा. राणा सिंह ने छात्र-छात्राओं को एक अच्छा चिकित्सक बनने के लिए अध्ययन के प्रति गंभीरता की आवश्यकता को विस्तार से बताया। संस्कृति यूनानी मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के प्राचार्य डा. वकार अहमद अहमद ने रोगों के निवारण और उपचार में यूनानी पद्धति के महत्व और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में इस चिकित्सा पद्धति की शुरुआत 13वी शताब्दी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना के साथ हुई थी। हिप्पोकेट्स को इस पद्धति का जन्मदाता माना जाता है।
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