वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमारे चुनाव पूर्व साझेदार के साथ नतीजे आने के बाद मतभेद हो गया. फिर एनसीपी ने पखवाड़े बाद हमें समर्थन देकर सरकार बनाने और चलाने पर सहमति बनाई. एक पवार हमारे साथ हैं और दूसरे पवार उनके साथ.
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र मसले पर सुनवाई चल रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमारे चुनाव पूर्व साझेदार के साथ नतीजे आने के बाद मतभेद हो गया. फिर एनसीपी ने पखवाड़े बाद हमें समर्थन देकर सरकार बनाने और चलाने पर सहमति बनाई. एक पवार हमारे साथ हैं और दूसरे पवार उनके साथ. यह मामला कर्नाटक के येदियुरप्पा मामले से अलग है.
इसी बहस में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कहा कि संवैधानिक स्थितियां कर्नाटक से अलग हैं. यहां संवैधानिक पहलू भी शामिल है. उन्होंने कहा, 145 के जादुई आंकड़े के मुताबिक 170 का समर्थन पत्र है. वो अब निश्चित रूप से कहेंगे कि ये दस्तखत फर्जी हैं. सिंघवी रविवार को ये कोर्ट में ही कह चुके हैं.
तुषार मेहता ने जहां पूरे अस्तबल के गायब होने का दावा किया, उसपर कपिल सिब्बल ने जवाब दिया. सिब्बल ने कहा कि सिर्फ घुड़सवार ही भागा है, घोड़े वहां हैं। मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायकों को होटल में बंद किया गया था,
फैसला जल्दी होना चाहिए. कपिल सिब्बल ने कहा कि 22 की रात को प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने सरकार बनाने की बात कही। सभी ने कहा कि उद्धव सीएम होंगे लेकिन सुबह 5 बजे ही फडणवीस सीएम बन गए. उन्होंने कहा कि ऐसी कौन-सी इमरजेंसी थी कि सुबह सवा 5 बजे राष्ट्रपति शासन हटाया गया और शपथ दिलवा दी गई. इमरजेंसी का खुलासा होना चाहिए.
इसी मामले में मुकुल रोहतगी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट कभी भी हो सकता है ये फैसला स्पीकर के ऊपर है। आज वो कह रहे हैं कि उनके पास 54 विधायक हैं, कल मैं भी ये कह सकता हूं। फ्लोर टेस्ट कराना स्पीकर की जिम्मेदारी है, इसमें कोर्ट की जिम्मेदारी क्या है?
मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट का कोई सवाल ही नहीं है। यहां पर हॉर्स ट्रेडिंग का सवाल नहीं है, बल्कि पूरा ग्रुप ही दूसरी ओर चला गया है। अगर राज्यपाल कहते हैं कि आज फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए और उन्हें अपना काम करने दिया जाए। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी ये पोजिशन नहीं है। इस प्रकार के कई केस हैं, जिनमें 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट हुआ है। सॉलिसिटर जनरल ने इसपर जवाब दिया कि ये राज्यपाल का फैसला है, क्या विधानसभा का एजेंडा अदालत तय करेगी? इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
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