राजस्थान कांग्रेस में उपजे सियासी संकट के ठीक एक महीने बाद पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क साधा है। पायलट और उनके 18 करीबी विधायकों ने पिछले महीने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी।
इस मामले से परिचित कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने हमारे सहयोगी अखबार 'हिन्दुस्तान टाइम्स' को बताया कि पायलट ने राहुल गांधी से भी मिलने का समय मांगा है। एक नेता ने बताया कि पायलट लगातार पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और के.सी. वेणुगोपाल से बातचीत कर रहे हैं।
इस दौरान, पायलट का रुख पहले के मुकाबले काफी नरम है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि क्या राहुल गांधी सचिन पायलट से मिलने के लिए राजी हैं, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने बताया कि जिस तरह के दोनों नेताओं के संबंध हैं, जल्द ही हो सकता हो सबकुछ ठीक हो जाए।
वहीं, जब पुष्टि के लिए सचिन पायलट से संपर्क किया गया, तो उन्होंने ऐसा कुछ भी होने से मना कर दिया। पायलट गुट के एक विधायक ने कहा
कि रविवार को हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में बागियों के वापस लाए जाने से मना कर दिया गया।उन्होंने कहा कि गहलोत की शैली की वजह से ही पायलट ने बगावत की है।
कांग्रेस के उक्त नेताओं में से एक ने कहा कि राजस्थान सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है। कुछ विधायक जोकि पायलट का समर्थन कर रहे हैं, वे अब बेचैन हैं और चाहते हैं कि पार्टी नेतृत्व से बात की जाए।
'आलाकमान से बागी विधायकों की नहीं करेंगे वकालत'
इससे पहले, राजस्थान में रविवार को कांग्रेस के विधायक दल की बैठक हुई थी। गहलोत कैंप के विधायकों ने मांग रखी कि सचिन पायलट और बगावती विधायकों के खिलाफ एक्शन लिया जाए। इस दौरान पार्टी की ओर से राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वह पार्टी आलाकमान के सामने बागी विधायकों की वकालत नहीं करेंगे। इसके अलावा, कांग्रेसी विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के बयान का समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि जिन लोगों ने पार्टी के साथ विश्वासघात किया है, उन्हें वापस आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
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