सोशल काका
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
नई दिल्ली। ना जाने एक सरकारी कर्मचारी के अपनी सेवा के बाद कितनी जिन्दगिया उसके ऊपर निर्भर होती है। ऐसे में उसकी सेवानिवृत्ति के बाद अगर उसको पेंशन ना मिले तो यह उसकी गरिमा को ठेंस पहुँचाना हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन को सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार माना है। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि पेंशन सेवानिवृत्ति के बाद की अवधि के लिए सहायता है न कि इच्छा होने पर कोई कृपा। यह कर्मचारी के लिए सेवानिवृत्ति के बाद सम्मान बनाए रखने के अधिकार के तौर पर किया गया एक सामाजिक कल्याण उपाय है। केरल के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन में विसंगति दूर करते
हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा, पेंशन सुविधा सरकारी कर्मचारी को ढलती उम्र में सम्मान के साथ जीने के लिए है और इसलिए किसी कर्मचारी को इस लाभ से अकारण वंचित नहीं किया जा सकता।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें किसी भी नियम आदि का बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए। कर्मचारी का पक्ष लेते हुए जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल सरकार को पेंशन लाभ का निर्धारण करने में अनुबंधित कामगार के रूप में दी गई उसकी सेवा अवधि को भी शामिल करने का आदेश दिया। कर्मचारी ने दावा किया था कि सरकारी विभाग में 32 साल तक काम करने के बावजूद उसे अंतिम 13 साल के लिए ही पात्र माना गया है। सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अनुरुद्ध बोस भी शामिल थे। पीठ ने ब्याज के साथ पेंशन का बकाया आठ सप्ताह में भुगतान करने का आदेश दिया है।
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