मथुरा। कोसी स्थित सेंट टेरैसा स्कूल के वार्षिक समारोह में मुख्य अतिथि संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने कहा कि बच्चों पर अपनी आशाओं को न थोपें, उनका स्वभाविक विकास होने दें। कहीं ऐसा न हो कि आपका दबाव उन्हें डिप्रेशन का शिकार बना दे।
उन्होंने समारोह में मौजूद शिक्षकों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपना आचरण ऐसा बनाएं जो कि प्रेरणादायक हो, तो बच्चे अपने आप आपके गुणों को सीखना शुरू कर देगा। बच्चे आपको देखकर आप से सीखते हैं, न कि आप जो उन्हें सिखाना चाहते हैं उससे सीखते हैं। इसलिए बेहतर यह है कि आप स्वयं आदर्शों को अपना कर बच्चों को उन्हें अपनाने का मौका दीजिए। बच्चे बहुत जिज्ञासु होते हैं, वे अनेक सवाल आपसे करते हैं। कुछ ऐसे सवाल भी होते हैं जिनके जवाब आप देने में संकोच करते हैं। ऐसे में आपको बच्चों के हर सवाल का जवाब सकारात्मकता के साथ दीजिए। मैंने महान वैज्ञानिक, पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत अब्दुल कलाम आजाद के साथ तीन साल काम किया और सीखा कि कैसे बच्चों के हर सवाल का उत्तर देना चाहिए। वे सभी अभिभावक बधाई के और सराहना के पात्र हैं जिन्होंने अपने बच्चों के लिए ऐसे विद्यालय का चयन किया। बच्चों की प्रस्तुतियां देख अभिभावकों का सीना चौड़ा हुआ होगा कि उनके बच्चे कितना अच्छा सीख रहे हैं।
इससे पूर्व विद्यालय के विभिन्न हाउसों के बच्चों ने अतिथियों का विस्तार
से परिचय दिया और स्वागत गान प्रस्तुत किया। नन्हे-मुन्ने बच्चों ने अब्दुल कलाम के जीवन को प्रस्तुत करती एक लघु नाटिका में अपनी तैयारी और कौशल से उपस्थित लोगों को देर तक ताली बजाने को मजबूर कर दिया। विद्यालय के प्रधानाचार्य रैवरेंड फादर मैथ्यू जोसेफ ने बच्चों को विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नरायण चौधरी के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद चौधरी नरदेव ने विद्यालय की प्रगति के लिए शुभकामनाएं देते कई उदाहरणों के साथ शिक्षक के दायित्वों को बताया। साथ ही भारतीय संस्कारों के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस मौके पर कार्यक्रम की अध्य़क्षता कर रहे आगरा से आए सैट टेरैसा स्कूल के अध्यक्ष रैवरेंड एल्बर्ड डिसूजा, विद्यालय के पूर्व प्राचार्य फादर एल्विन पिंटो, विद्यालय के मैनेजर फादर मैथ्यू टंडिल को बच्चों ने गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया। विद्यालय के प्राचार्य फादर मैथ्यू जोसेफ ने संस्कृति विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
पता नहीं बच्चों में से कौन कितना बड़ा बन जाय और तब हम उनसे मिल नहीं पाएं। बच्चे वे सभी मुकाम पाएं जो वे चाहते हैं। हमको अपनी आशाओं का बोझ बच्चों पर नहीं डालना चाहिए। बच्चों के मन में अपनी बात सुनने वाले लोगों की तलाश होती है। जिससे वे अपनी बात कह सकें। हमने एक कार्यक्रम में पाया की 68 प्रतिशत बच्चे डिप्रेशन के शिकार पाए गए। दूसरे बच्चों को देख हम अपने बच्चों पर वैसा बनने का दबाव डालते हैं। हम क्या चाहते हैं, उसका बच्चों पर दबाव न डालें
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