पूजन कर्म में खासतौर पर कुंकुम क्यों जरूरी होता है?

पुलिस ने लेवी मांगनेवाले दो अपराधियों को हथियार सहित दबोचा Karauli : श्री महावीर जी में भगवान जिनेन्द्र की निकली रथ यात्रा पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बीच स्थित नहरों का जंक्शन है खास 29 को कल्पना सोरेन गांडेय से करेगी नामांकन बीजापुर के आराध्य देव चिकटराज मेले का हुआ समापन उत्तराखंड: चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लगातार जारी कांग्रेस प्रत्याशी ने किया नामांकन फॉर्म जमा - झाबुआ रामपुर पहुंचे संजय सिंह, कहा- इंडिया गठबंधन की बनेगी सरकार दंतेवाड़ा 18 नक्सली सरेंडर हमीरपुर में मतदान बढ़ाने का लिया गया संकल्प मऊ में मतदान के लिए दिलाई गई शपथ गर्मियों में बढ़ गई है गैस और अपच की समस्या Dream Girl 3 में अनन्या पांडे नहीं सारा अली खान नजर आएगी Liquor Shop Closed: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में आज से 26 अप्रैल तक बंद रहेंगे ठेके PM-चुनावी दौरा-प्रदेश मतदाता जागरूकता-प्रदेश पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे यात्रियों को किफायती मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराएगा आज का राशिफल पीलीभीत में सड़क सुरक्षा जागरूकता को स्कूलों में दिलाई गई शपथ चुनाव प्रचार समाप्त

पूजन कर्म में खासतौर पर कुंकुम क्यों जरूरी होता है?

Khushboo Diwakar 17-05-2019 16:07:54

  • कुंकुम का तिलक मान-सम्मान का और इसका लाल रंग प्रेम, उत्साह, साहस का प्रतीक है

जीवन मंत्र डेस्क। पूजा में भगवान को अर्पित की जाने वाली चीजों का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। ये सभी चीजें हमारे जीवन से जुड़ी हुई हैं। भगवान को जो सामग्रियां चढ़ाई जाती हैं, उनका भाव यही है कि हम जो भी भगवान को चढ़ाते हैं, उनका फल हमें मिलता है। पूजन कर्म में खासतौर पर कुंकुम का विशेष महत्व है। भगवान को कुंकुम से तिलक लगाया जाता है, हमारे माथे पर कुंकुम लगाते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए कुंकुम से जुड़ी खास बातें...

कुंकुम से जुड़ी खास बातें

  1. सभी मांगलिक कर्मों में जरूरी है कुंकुम

    कुंकुम पूजा की सबसे जरूरी सामग्रियों में से एक है। पूजा के अलावा सभी मांगलिक कर्मों में भी कुंकुम का उपयोग होता है। घर हो या मंदिर हर जगह पूजा की थाली में कुंकुम रखा जाता है। कुंकुम का लाल रंग प्रेम, उत्साह, उमंग, साहस और शौर्य का प्रतीक है। इससे प्रसन्नता का संचार होता है। ग्रंथों में भी इसे दिव्यता का प्रतीक माना गया है।
    > नवदुर्गा पूजा विधान में लिखा है कि कुंकुम कान्तिदम दिव्यम् कामिनीकामसंभवम्।

    xss=removed>>
     इसका अर्थ यह है कि कुंकुम अनंत कांति प्रदान करने वाला पवित्र पदार्थ है, जो स्त्रियों की संपूर्ण कामनाओं को पूरा करने वाला है।

  2. दैनिक जीवन में कब-कब जरूरी है कुंकुम

    पूजा-पाठ के साथ ही दैनिक जीवन में भी कुंकुम का उपयोग होता है। पुरुष तिलक और महिलाएं कुंकुम की बिंदी लगाती हैं। पुराने समय में राजा जब युद्ध के लिए जाते थे, तब उनकी विजय के लिए प्रतीक के रूप में कुंकुम का तिलक लगाया जाता था। राजतिलक के समय भी तिलक लगाया जाता था। इस परंपरा का आशय ये है कि दायित्व के निर्वहन की शुरुआत कुंकुम से की जाए, क्योंकि कुंकम ही विजय है, दायित्व है और मंगल भी। कुंकुम का तिलक सम्मान का प्रतीक है। ये तिलक हमें जिम्मेदारी का अहसास करता है। 

  3. कुंकुम का वैज्ञानिक महत्व

    आयुर्वेद में कुंकुम को औषधि माना गया है। इसे हल्दी और चूने या नींबू के रस में हल्दी को मिलाकर बनाया जाता है। हल्दी खून को साफ करती है और शरीर की त्वचा का सौंदर्य बढ़ाती है। कुंकुम से त्वचा का आकर्षण बढ़ता है। माथे के आज्ञा चक्र पर कुंकुम की बिंदी लगाई जाती है, इससे मन की एकाग्रता बढ़ती है, मन व्यर्थ की बातों में नहीं भटकता है।

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :