सर्व पितृ अमावस्या 28 सितंबर को है। नवरात्रि से पहले आने वाली अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। पश्चिम बंगाल में इसे महालया अमावस्या कहा जाता है। इस दिन एक तरफ जहां पितर पक्ष का समापन और नवरात्र की शुरूआत होने वाली होती है। इस दिन पितरों को विदा करने का दिन है। ऐसा माना जाता है कि महालया में मां दुर्गा ने असुरों का सर्वनाश किया था। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि इस दिन मां पार्वती कैलाश छोड़कर अपने पुत्रों गणेश और कार्तिकेय से मिलने आती हैं।
इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किा जाता है जिनकी तिथि याद नहीं। इसके अलावा इस दिन ऐसे पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है जो ऐसे पितृ जिनके मरने की तिथि अज्ञात है या वह सालों से लापता हैं और उनके जिंदा होने की कोई उम्मीद भी नहीं है।
ऐसे करें श्राद्ध
इस दिन तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है। इसके अलावा इस दिन पितरों की पसंद का भोजन बनाकर पांच स्थानों में भोजन को निकालना चाहिए। इसमें पहला हिस्सा गाय का, दूसरा देवों का, तीसरा हिस्सा कौए का, चौथा हिस्सा कुत्ते का और पांचवा हिस्सा चींटियों का होता है। जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है।
पितृ पक्ष के 14 दिनों में अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध न कर पाए हों तो पितृ दोष से बचने के लिए अमावस्या में उनका भी श्राद्ध किया जा सकता है। मान्यता है कि इन दिनों में पितर किसी भी रूप में आपके घर पर आ सकते हैं। इसलिए भूलकर भी अपने दरवाजे पर आने वाले किसी भी जीव का निरादर ना करें। ऐसे पितरों को श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन तर्पण दिया जाता है।
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