अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: फुटबॉल जगत के महान खिलाड़ियों में से एक डिएगो माराडोना की हाल ही में निधन हो गया हैं. बता दे कि निधन खबर सुनकर करोड़ों फैंस का दिल टूट गया. अर्जेन्टीना के फुटबॉलर माराडोना की मौत हार्ट अटैक से हुई है. फुटबॉल की दुनिया के बेताज बादशाह माराडोना का एक चेहरा नशे के आदी शख्स का भी रहा. जिस इटली में उन्हें इतना प्यार, इतनी शोहरत मिली...उसी इटली में उन्हें ड्रग्स की लत भी लगी.
30 अक्टूबर को मनाया था 60वां जन्मदिन
इसी 30 अक्टूबर को उन्होंने अपना 60वां जन्मदिन मनाया था. उन्होंने ब्यूनर्स आयर्स में अपने घर पर अंतिम सांस ली. वो काफी लंबे वक्त से बीमार थे. इसी महीने उनके ब्रेन की सर्जरी हुई थी. जिसके बाद माराडोना घर लौट आए थे. स्टार फुटबॉलर की मौत के बाद अर्जेंटीना में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक है.
नेपोली क्लब को दो बार जिताया इटेलियन टाइटल
माराडोना, बार्सिलोना और इटली के नेपोली जैसे नामी फ़ुटबॉल क्लबों के लिए भी खेले और इन क्लबों के हीरो कहलाए. माराडोना ने नेपोली क्लब को दो बार इटेलियन टाइटल जिताया जिससे इटली में उनकी फैन फॉलोइंग इतनी बढ़ गई कि लोग माराडोना की एक झलक पाने के लिए उनके घर के घंटों खड़े रहते थे.
शोहरत के साथ ड्रग्स की लत भी लगी
जिस इटली में उन्हें इतना प्यार, इतनी शोहरत मिली...उसी इटली में उन्हें ड्रग्स की लत भी लगी. उनका नाम इटली के कुख्यात माफिया ड्रग गैंग कैमोरा से भी जुड़ गया था. साल 1991 में माराडोना एक डोप टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए और
अगले 15 महीनों के लिए उन्हें फ़ुटबॉल से प्रतिबंधित कर दिया गया. इसके बाद साल 1994 में अमरीका में होने वाले फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप में माराडोना को प्रतिबंधित ड्रग एफ़ेड्रिन लिए पाया गया था. इसके बाद बीच टूर्नामेंट में ही उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया.इसके बाद 1997 में फिर तीसरी बार ड्रग टेस्ट पॉज़िटिव आने के बाद अपने 37वें जन्मदिन पर उन्होंने प्रोफ़ेशनल फ़ुटबॉल से रिटायरमेंट ले लिया था. माराडोना 2010 से अगले दो साल तक अर्जेंटीना की टीम के मैनेजर रहे लेकिन वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना के क्वार्टर फ़ाइनल से बाहर होने के बाद उन्होंने ये पद भी छोड़ दिया.
कम उम्र में पहली बार खेला अंतरराष्ट्रीय मैच
डियेगो माराडोना...अर्जेन्टीना के बेहद साधारण परिवार में जन्मे इस खिलाड़ी की पूरी जिंदगी किसी मैच की तरफ ही चलती रही. एक तरफ खेल के मैदान वो बेताज बादशाह बने रहे तो निजी जिंदगी में कई विवादों में भी घिरता रहे. माराडोना ने सिर्फ 16 साल की उम्र में पहली बार अंतरराष्ट्रीय मैच में फुटबॉल को किक किया था और इसी किक के साथ एक खिलाड़ी से महान फुटबॉलर बनने का उनका सफर शुरु हो गया था.
एक सर्वेक्षण में उन्होंने पेले को पीछे छोड़ 20वीं सदी के सबसे महान फ़ुटबॉलर होने का गौरव अपने नाम कर लिया था. माराडोना ने 491 मैचों में 259 गोल दागे थे. अपनी होम टीम अर्जेन्टीना के लिए माराडोना ने 91 मैच खेले जिनमें कुल 35 गोल दागे.उन्होंने अपने देश को साल 1986 में मेक्सिको में हुए वर्ल्ड कप में जीत दिलाई और चार बार वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचाया.
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