नोटेबंदी के बाद भी बड़ी नकली नोटों की संख्या

दोबारा मां बनने जा रहीं Dipika Kakar महागौरी की पूजा विधि CBSE Board 10th Result 2024: जानें कब आएंगे कक्षा 10 परिणाम Lok Sabha Election 2024:BJP ने जारी की एक और लिस्ट महातारा जयंती 2024 डेट और शुभ मुहूर्त सलमान खान के घर पर कथ‍ित तौर पर फायरिंग के मामले में दो आरोपि‍यों को गुजरात से किया गिरफ्तार आज का राशिफल अजवाइन के पानी के फायदे New update regarding monsoon शेयर बाजार में कोहराम Lok Sabha Election 2024-PM मोदी ने CPI (M) और कांग्रेस पर साधा निशाना। Delhi Liquor Scam-कोर्ट ने 23 अप्रैल तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत लालू यादव ने BJP पर करारा हमला बोला Chaitra Navratri 2024 7th Day: इस शुभ समय पर करें मां कालरात्रि की विशेष पूजा ब्लैक साड़ी में Sara Ali Khan ने मुंबई की सड़कों पर करवाया फोटोशूट सलमान खान रोजाना सफर करते है ये दो दमदार Bullet Proof SUV में इमरान खान की पार्टी के नेता ने PM शहबाज पर साधा निशाना युमथांग वैली सिक्किम की बेहद खूबसूरत जगह में से एक आज का राशिफल Weather Update:-एनसीआर के मौसम में आया बदलाव

नोटेबंदी के बाद भी बड़ी नकली नोटों की संख्या

sakshi sharma 08-11-2019 14:48:08

नोटबंदी को आज तीन साल पूरे हो गए हैं। आज ही के दिन रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन करते हुए इसकी घोषणा की थी। तब उन्होंने इसे लागू करने के पीछे कई सारे कारण बताएं थे, जिस पर चोट करने की बात कही गई थी। काला धन, आतंकवाद, बड़े नोटों की जमाखोरी, नकली नोट जैसे मुद्दे प्रमुख थे। नोट बंद होने के बाद सरकार की तरफ से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की बात कही गई थी। 

बढ़ी दो हजार रुपये की जमाखोरी

नवंबर 2016 के बाद जहां डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी देखने को मिली, वहीं अन्य कारण जो उस वक्त बताए गए थे, उनमें किसी तरह की कमी नहीं आई है। नोटबंदी के बाद जो दो हजार रुपये का नोट शुरू किया गया था, लेकिन उसकी भी छपाई को रोक दिया है। आरबीआई ने इस नोट को एटीएम से भी देने पर रोक लगा दी है। बैंक अब एटीएम में से दो हजार रुपये के नोट की कैसेट को निकाल कर 500, 200 और 100 रुपये की कैसेट ज्यादा लगा रहे हैं। बैंक का तर्क है कि लोग दो हजार के नोट की जमाखोरी करने लगे हैं। इस वजह से इसकी छपाई रोक दी गई है। वहीं अब यह नोट केवल बैंक शाखाओं में मिल रहा है। 

डिजिटल भुगतान में हुआ इजाफा

नोटबंदी के दौरान सरकार ने कहा था कि वो नकदी का प्रचलन कम करने के लिए डिजिटल और कार्ड से भुगतान को ज्यादा बढ़ावा देंगे। तीन साल बाद जहां एक तरफ डिजिटल भुगतान में बढ़ावा देखने को मिला है, वहीं दूसरी तरफ नकदी आज भी लोगों की जरूरत है। नकदी का प्रचलन कहीं से भी कम नहीं हुआ है। 
भारत में लोग डिजिटल लेनदेन के लिए यूपीआई (UPI) यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस का काफी इस्तेमाल करते हैं। तीन साल पहले लॉन्च हुए यूपीआई के जरिए अक्तूबर माह में एक अरब लेनदेन हुए हैं। वहीं पिछले महीने सितंबर में इसके जरिए 95.5 करोड़ लेनदेन हुए थे। इसके साथ ही यूपीआई सबसे तेजी से बढ़ने वाला सिस्टम बन गया है। 

हालांकि उस वक्त डिजिटल ट्रांजेक्शन में बढ़ावा देखने को मिला था, लेकिन जैसे-जैसे नकदी की स्थिति सुधरी डिजिटल ट्रांजेक्शन कम होने लगे। डिजिटल भुगतान में भी धोखाधड़ी के मामले ज्यादा सामने आने के चलते भी लोग फिर से नकद ट्रांजेक्शन ज्यादा करने लगे हैं। 

अर्थशास्त्री मोहन गुरुस्वामी का कहना है कि नोटबंदी के बाद लोगाें में बैंकों में धन जमा करने को लेकर शंका बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 से 2015-16 तक बाजार में चल रही कुल नकदी की तुलना में महज 9-12 फीसदी नकदी ही लोग घरों में जमा करते थे। 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 26 फीसदी हो गया। हालांकि, इस दौरान डिजिटल लेनदेन को काफी बढ़ावा मिला है। अक्तूबर में यूपीआई के जरिये 1 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन किए
गए। इसके अलावा पेटीएम, अमेजन-पे, गूगल-पे, फोन-पे जैसे भुगतान एप के जरिये भी डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। 

काले धन पर नहीं लगी रोक

नोटबंदी का सबसे बड़ा कारण काला धन था। हालांकि यह कम होने के बजाए बढ़ता गया है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा या फिर विधानसभा के चुनाव हों, बड़ी अरबों रुपये जांच एजेंसियों को दो हजार और पांच सौ के नोट मिले है, जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं था। आयकर अधिकारियों द्वारा समय-समय पर मारे जा रहे छापों में भी यह बात सामने आ रही है, जिसमें लोगों के पास बड़ी संख्या में ऐसे नोट मिले हैं। 

नकली नोटों की संख्या बढ़ी

अगर नोटबंदी से पहले के समय की बात करें, तो नकली नोटों का प्रचलन काफी ज्यादा था। नोटबंदी के बाद इस बारे में आरबीई ने एक रिपोर्ट भी जारी की है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डाटा के मुताबिक, देश में नकली नोटों के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में नकली नोटों में 121 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2,000 रुपये के नकली नोटों की बात करें, तो यह आंकड़ा 21.9 फीसदी है। 200 रुपये के 12,728 जाली नोट मिले, जबकि पिछले साल सिर्फ 79 ही पकड़े गए थे। 

वैल्यू के लिहाज से देखा जाए, तो मार्च 2019 के आखिर तक 500 और 2000 के नोटों की हिस्सेदारी कुल वैल्यू में 82.2 फीसदी थी। आरबीआई के मुताबिक, यह आंकड़ा मार्च 2018 के अंत में 80.2 फीसदी था। इसके अलावा, समान अवधि में क्रमशः 10, 20 और 50 रुपये में पाए गए नकली नोटों में 20.2 फीसदी, 87.2 फीसदी और 57.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। हालांकि 100 के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में 7.5 फीसदी की गिरावट देखी गई है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों सदन में एक सवाल के जवाब में कहा था कि 4 नवंबर, 2016 को बाजार में कुल 17,741 अरब रुपये के मूल्य के बराबर नकदी चलन में थी, जो 29 मार्च 2019 तक बढ़कर 21,137.64 अरब रुपये पहुंच गई। इस तरह बाजार में 3,396 अरब रुपये की नकदी ज्यादा चल रही है। इसी तरह, एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2016 में जहां 24.61 करोड़ के नकली नोट पकड़े गए थे, वहीं 2017 में यह बढ़कर 28 करोड़ पहुंच गया। हालांकि, इसके बाद नकली नोटों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। 

आतंकवाद में नहीं लगी कोई लगाम

नोटबंदी के वक्त कहा गया था, कि इससे आतंकी और कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आएगी। हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।  दक्षिण एशिया आतंकी पोर्टल (एसएटीपी) के डाटा के अनुसार 2016,2017 और 2018 में 2015 के मुकाबले आतंकी घटनाओं में इजाफा देखा गया। 2015 में जहां 728 लोग आतंकी हमले का शिकार हुए थे, वहीं इनकी संख्या 2016 में 905, 2017 में 812 और 2018 में 940 पर पहुंच गई। 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :