71 साल का बेघर 48 साल बाद करेगा अपनी डिग्री पूरी

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71 साल का बेघर 48 साल बाद करेगा अपनी डिग्री पूरी

Deepak Chauhan 11-06-2019 17:24:13

अमेरिका के टेक्सास राज्य के ऑस्टिन में रहने वाले डेविड कार्टर ने हाल ही में टेक्सास यूनिवर्सिटी में फिर से एडमिशन लिया है। लेकिन बात यह नहीं है कि उन्होंने दोबारा एडमिशन लिया है, बल्कि वे करीब 48 साल बाद यूनिवर्सिटी लौटे हैं और अब अपनी डिग्री पूरी करना चाहते हैं। उनकी ट्यूशन फीस यूनिवर्सिटी चुकाएगी। 


दरअसल, 1971 में वे आर्ट्स की पढ़ाई कर रहे थे। उनका सपना एक बड़ा आर्टिस्ट या लेखक बनने का था, लेकिन एक हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी। शराब पीने की वजह से एक हादसे में वे कांच की खिड़की से टकराकर बुरी तरह घायल हो गए थे। बाद में उन्हें सीजोफ्रेनिया बीमारी होने का पता चला जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई छूट गई था। इस दौरान उनकी याददाश्त भी जाती रही और वे एक जगह से दूसरी जगह भटकते रहे। वे पूरी तरह बेघर हो चुके थे।


रिसर्च के साथ किताबें लिखना चाहता हूं 

टेनासिटी में पत्राकारिता की पढ़ाई कर रहे रायन चैंडलर ने उन्हें देखा और उनका इलाज करवाया। अब डेविड दूसरे चांस में अपनी डिग्री पूरी करने के लिए यूनिवर्सिटी लौटे हैं। वे बताते हैं- "मैं अपनी जिंदगी का बाकी वक्त रिसर्च
और किताबें लिखने में बिताना चाहता हूं। मेरा मानना है कि कॉलेज एजुकेशन पूरी करने की वजह से किताबों को और बेहतर तरीके से लिख पाऊंगा। इस दौरान कई बुद्धिमान और दिलचस्प लोगों से मिलने का मौका भी मिलेगा।" 


बेघरों पर किए असाइनमेंट के दौरान डेविड से मुलाकात हुई 

डेविड की देखभाल करने वाले और उन्हें यूनिवर्सिटी पहुंचाने वाले रायन चैंडलर कहते हैं- कार्टर से मेरी मुलाकात द डेली टेक्सन अखबार में इंटर्नशिप करते वक्त एक असाइनमेंट के दौरान हुई थी। मुझे बेघर लोगों के विषय पर असाइनमेंट मिला था। मैंने डेविड का इंटरव्यू लिया था, जिसमें मुझे इनकी प्रेरक स्टोरी का पता चला। जल्द ही हम दोस्त बन गए और अक्सर मिलने लगे। डेविड ने जब अपनी पढ़ाई पूरी करने के बारे में बताया तो मैंने उनका एडमिशन करवाने में मदद की। जल्द ही वे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स से डिग्री पूरी कर लेंगे। यूनिवर्सिटी ने डेविड के एक एडवाइजर भी मुहैया करवाया है। चैंडलर के बारे में डेविड ने कहा- यह मुझे अब तक का सबसे बड़ा गिफ्ट और आशीर्वाद मिला है। चैंडलर ने बहुत बड़ा काम किया है। उनके बगैर मेरे लिए ये सब करना मुमकिन नहीं था।

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