अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
चंडीगढ़: कृषि बिल 2020 आए हुए लगभग एक महीने बीत चुका हैं. लेकिन अभी भी केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है. वहीं इस बीच मंगलवार को पंजाब विधानसभा में इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश कर दिया गया है. पंजाब ऐसा करने वाला पहला राज्य बना है. मंगलवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया.
MSP से नीचे देने पर किया मजबूर, तो होगी जेल
प्रस्ताव में इस बात को शामिल किया गया है कि अगर किसान को MSP से नीचे फसल देने पर मजबूर किया जाता है, तो ऐसा करने वाले को तीन साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही अगर किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा किसानों पर जमीन, फसल को लेकर दबाव बनाया जाता है तो भी जुर्माना और जेल का प्रस्ताव लाया गया है.
तीन कृषि कानूनों की आलोचना
इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों की आलोचना की गई है. यहां प्रस्ताव पेश करने के बाद सीएम कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के अलावा इलेक्ट्रिसिटी बिल में भी जो बदलाव किए गए हैं, वो भी किसान और मजदूरों के खिलाफ हैं. इससे सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि हरियाणा और वेस्ट यूपी पर भी असर पड़ेगा.
विधानसभा में केंद्र के कानूनों के खिलाफ तीन नए बिल पेश किए गए, जो केंद्र द्वारा लाए कानूनों के बिल्कुल अलग हैं और एमएसपी को
जरूरी करते हैं. पंजाब सीएम ने रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों से अपील की है कि अब धरना खत्म कर दें और काम पर लौटें, इन कानूनों के खिलाफ हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से अपील की गई है कि ताजा अध्यादेश लाया जाए, जिसमें MSP को शामिल किया जाए. इसके अलावा सरकारी एजेंसियों की प्रक्रिया को मजबूत किया जाए. कैप्टन अमरिंदर ने इस दौरान सभी से अपील करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को इस मसले पर एकजुट होना होगा.
केंद्र के खिलाफ एकजुट होकर करनी होगी लड़ाई
पंजाब सीएम ने इस दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों पर भी तंज कसा और कहा कि कुछ लोग विधानसभा में रात गुजार रहे हैं, कोई ट्रैक्टर पर आ रहा है. ऐसे में इन मुद्दों से कुछ नहीं होगा, प्रदर्शन से कोई फायदा नहीं है जबतक हम केंद्र के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई ना लड़ें. सीएम ने ऐलान किया कि अब इस बिल के आधार पर राज्य सरकार आगे की कानूनी लड़ाई लड़ेगी.
कृषि का मसला राज्य सरकार के हाथ
प्रस्ताव में इस बात को शामिल किया गया है कि संविधान के अनुसार कृषि का मसला राज्य सरकार के हाथ में है, लेकिन इसपर केंद्र ने खुद ही निर्णय ले लिया जो कि नियमों का उल्लंघन है. ऐसे में अंतिम फैसला राज्यों के ऊपर होना चाहिए. आपको बता दें कि कैप्टन अमरिंदर के बाद विधानसभा सत्र में नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अपनी बात रखी और केंद्र के कृषि कानून का विरोध किया.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments