अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को फतह करने में गठबंधन की बड़ी भूमिका है. पिछले दो विधानसभा चुनाव इसकी बानगी हैं. खासकर, जदयू जिस गठबंधन के साथ गया, जीत उसी को मिली. जदयू ने गठबंधन में खुद तो 70-80 फीसद सीटें जीती हीं, अपने सहयोग दल को भी 80-90 फीसद तक सीटें जीतने में सहयोग किया.
भाजपा का साथ मिलने पर रहा फायदा
2010 में जदयू जब भाजपा के साथ थी तो खुद 81 फीसद सीटें तो जीती हीं, सहयोगी भाजपा को भी 89 फीसद सीट पर जीत मिली। मगर यही जदयू जब 2015 के चुनाव में राजद के साथ चली गई तो भाजपा के जीत का प्रतिशत घटकर 33.75 फीसद रह गया। इसी तरह बिना जदयू 2010 में राजद के जीत का प्रतिशत 13 फीसद था लेकिन जदयू का साथ मिलते ही राजद के जीत का प्रतिशत बढ़कर 79.29 हो गया। इस गठबंधन में जदयू ने भी अपनी 70 फीसद सीटों पर जीत
दर्ज की।
2015 के चुनाव में महागठबंधन भारी
पिछले चुनाव में जदयू-राजद-कांग्रेस एक साथ थे. इसका लाभ महागठबंधन को खूब मिला. जदयू 101 सीटों पर खड़ा हुआ और 71 पर विजय हासिल की. गठबंधन के दूसरे बड़े दल राजद का प्रदर्शन तो और बेहतर रहा. राजद ने 101 में 80 सीटें जीतीं. अमूमन, जीत को तरसने वाली कांग्रेस को भी जदयू का साथ खूब भाया. कांग्रेस के 41 उम्मीदवारों में से 27 को जीत मिली यानी 65 फीसद प्रत्याशी विजयी रहे.
2010 में एनडीए को दो तिहाई बहुमत
2010 के चुनाव में भाजपा-जदयू गठबंधन को दो तिहाई बहुमत मिला था. इस चुनाव में जदयू ने 141 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे जिसमें 115 पर जीत मिली थी. गठबंधन के दूसरे दल भाजपा ने 102 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जिसमें 91 पर उसे जीत मिली.
2015 विधानसभा चुनाव
दल सफलता दर
1. राजद 79.20
2. जेडीयू 70.29
3. कांग्रेस 65.85
4. भाजपा 33.75
5. रालोसपा 8.69
6. लोजपा 4.76
7. हम 4.76
8. भाकपा माले 3.06
9. निर्दलीय 0.34
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