अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन से जुड़ी ये बड़ी खबर है. राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस व अन्य घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बातचीत अंतिम चरण में है. अगर सबकुछ सामान्य रहा तो सीटों की घोषणा एक सप्ताह के अंदर दो अक्टूबर या उसके बाद कभी भी की जा सकती है. आरजेडी ने पहले फेज के चुनाव के लिए अपनी सीटों की सूची भी तैयार कर ली है. सूची लेकर भोला यादव रांची पहुंच गए हैं, जहां उनकी आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात होनी है. माना जा रहा है कि इसके बाद आरजेडी अपनी पहली सूची जल्द जारी कर सकता है. उम्मीदवारों के नाम तय हो चुके हैं.
150 सीटों पर चुनाव लडे़गा आरजेडी, कांग्रेस को 70
इस बीच बताया जा रहा है कि आरजेडी व कांग्रेस के बीच 10 और सीटों को लेकर बातचीत जारी है. आरजेडी अपनी तरफ से माले को 13, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को छह और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को चार सीटों का ऑफर किया है. कांग्रेस को 60 प्लस एक का ऑफर दिया है. हालांकि, कांग्रेस 70 से कम पर तैयार नही है. माले भी 17 पर अड़ी है. समाचार एजेंसी के अनुसार आरजेडी 150 सीटों पर चुनाव में जा सकती है. कांग्रेस को 70 तथा वाम दलों को शेष सीटें दिए जाने की संभावना है. विकासशील इनसान पार्टी के करीब आधा दर्जन प्रत्याशियों को अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतार कर आरजेडी अपनी सीटें बढ़ा सकता है.
महागठबंधन में सीट शेयरिंग का यह है फॉर्मूला
सूत्रों ने बताया कि बातचीत के
आरंभ में तय हुआ था कि 2015 के विधानसभा चुनाव के फॉर्मूले के अनुसार सीटों का बंटवारा किया जाएगा. इसके अनुसार कांग्रेस को 41 तो आरजेडी को 101 सीटें दी जातीं. सूत्रों के अनुसार उस चुनाव में महागठबंधन में शामिल जनता दल यूनाइटेड की 101 सीटों में से 50 आरजेडी तथा 30 कांग्रेस को दिए जाने हैं. शेष सीटें वाम दलों को दिए जाने हैं.
लोक सभा चुनाव के अनुभवों को ले कांग्रेस अलर्ट
सूत्र बताते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस बीते लोक सभा चुनाव में मिले अपने अनुभवों को लेकर अलर्ट है. तब कांग्रेस को 18 सीटों का वादा किया गया था, लेकिन मिलीं थी केवल नौ. तब कांग्रेस से आरजेडी ने राज्यसभा की एक सीट देने का वादा भी किया था, जो पूरा नहीं हुआ.
इस बार कांग्रेस 'सम्मानजनक सीटों पर समझौता चाहती है. जहां तक कांग्रेस के महागठबंधन से बाहर जाने की बात है, ऐसी संभावना नहीं दिखती. इससे आरजेडी व कांग्रेस, दोनों को नुकसान है.
दूसरे के सिंबल के लिए तैयार नहीं थे मांझी-कुशवाहा
महागठबंधन से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा व राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पहले ही बाहर जा चुके हैं. उन्होंने आरजेडी व कांग्रेस वाले महागठबंधन में अन्य दलों के सम्मान का मुद्दा उछाला था. सूत्र बताते हैं कि महागठबंधन में जीतनराम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा को आरजेडी या कांग्रेस के सिंबल पर अपने प्रत्याशी उतारने को कहा गया था, जिससे वे सहमत नहीं थे. आरजेडी का मानना है कि छोटे दलों के प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद दल-बदल करने लगते हैं. उनके बड़े दल के सिंबल पर चुनाव लड़ने से दल-बदल पर रोक लगेगी.
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