जमीन नहीं अब अंतरिक्ष से वार की फिराक में चीन

सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना का विषेश शिविर होने जा रहा शुरु अपनों को निहारते गाँव प्रधानमंत्री आवास के नाम पर ग्रामीणों से लाखों की धन उगाही,मामला पहुंचा सांसद कार्यालय आदि शक्ति...शिव-पार्वती की भक्ति में डूबे नजर आए पीएम मोदी, जागेश्वर धाम में कही बड़ी बात वार्षिक संत निरंकारी समागम का आयोजन 28 से 30 को आध्यात्मिक स्थल समाखला में टेबल टेनिस में मनिका बत्रा ने रचा इतिहास, सिंगल्स क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली बनी पहली भारतीय डिलीवरी के बाद प्रसूता की मौत, परिजनों ने किया अस्पताल में हंगामा । उत्तराखंड स्टेट T20 क्रिकेट चैंपियनशिप के लिए जिले की टीम का हुआ चयन कोटद्वार: जंगल में चारा पत्ती लेने गए बुजुर्ग को हाथी ने कुचलकर मार डाला, तीन दिन बाद मिला शव लोकसभा में PM मोदी: ‘संसद के कर्मचारियों-पत्रकारों का योगदान अहम, आतंकी हमले से सांसदों को बचाने वालों का नमन’ 22 सितंबर को विधानसभा के बाहर गरजेंगे मिड-डे मील वर्कर्स अयोध्या में खतरे के निशान के पास पहुंचा सरयू नदी का जलस्तर, बाढ़ का खतरा राहुल गांधी को वापस मिला बंगला तो बोले रवि किशन PM का बड़प्पन है...' 'बेटी बचाओ... की ब्रांड एंबेसडर रेसलर के साथ दहेज के लिए ज्यादती, FIR दर्ज सारस के बाद अब बाज बना आरिफ का नया दोस्त' राहुल की फ्लाइंग किस पर प्रियंका चतुर्वेदी 'नफरत की आदत में मोहब्बत रास नहीं आई राजस्थान में भ्रष्टाचार का अनोखा विरोध गधों को खिलाए गए गुलाब जामुन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में बढ़े हार्ट अटैक के मामले- स्टडी राहुल ने संसद में फ्लाइंग किस दिया? हेमा मालिनी बोलीं- 'मैंने नहीं देखा' महाराष्ट्र में मिला COVID वेरिएंट 'एरिस' का पहला केस

जमीन नहीं अब अंतरिक्ष से वार की फिराक में चीन

VIJAY SHUKLA 23-09-2020 18:00:54

जमीन  नहीं अब अंतरिक्ष से वार की फिराक में चीन 

सोशल काका 

लोकल न्यूज  इंडिया 

हाल ही में एक अमेरिकी थिंक-टैंक की रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है क‍ि चीन ने भारतीय सैटेलाइट्स पर कई बार हमले किए हैं। यह हमले सैटेलाइट्स नष्‍ट करने के लिए नहीं, बल्कि उसका कंट्रोल हासिल करने के लिए किए गए थे। किसी सैटेलाइट को खत्‍म करने के कई तरीके हैं।आज की टेक्‍नोलॉजी इतनी ऐडवांस्‍ड है कि किसी देश से युद्ध करने के लिए गोला-बारूद के इस्‍तेमाल की कोई जरूरत नहीं। एक कम्‍प्‍यूटर के जरिए किसी भी देश को आसानी से पंगु किया जा सकता है। हर देश संचार, मौसम, शिक्षा और बहुत सारी चीजों के लिए सैटेलाइट्स का इस्‍तेमाल करता है। अंतरिक्ष में तैरते इन सैटेलाइट्स का कंट्रोल हैकर्स अपने हाथ में ले सकते हैं। ऐसा पहले भी हुआ है और आगे भी होता रहेगा। भारत के लिए भी साइबर हमले चिंता की बात हैं। खासतौर से तब जब चीन के साथ सीमा पर बेहद तनावपूर्ण स्थिति है।  आखिर क्या बला है सैटेलाइट्स वारफेयर? आइये देखते हैं :


ऐंटी-सैटेलाइट वेपन से भी उड़ाई  हैं  सैटेलाइट

भारत के अलावा अमेरिका, रूस और चीन ने ही ASAT मिसाइल के सफल टेस्‍ट किए हैं। भारत ने पिछले साल 'मिशन शक्ति' के तहत ASAT का टेस्‍ट किया था। आमतौर पर ASAT मिसाइल में एक 'किल वेहिकल' होता है जिसका अपना गाइडेंस सिस्‍टम होता है। मिसाइल जैसे ही वायुमंडल से बाहर निकलती है, किल वेहिकल अलग हो जाता है और टारगेट की तरफ बढ़ता है। किसी विस्‍फोटक की जरूरत नहीं पड़ती क्‍योंकि उसकी रफ्तार ही सैटेलाइट्स के टुकड़े-टुकड़े करने के लिए काफी है। ऐंटी-सैटेलाइट (ASAT) वेपंस वो हथियार होते हैं जिनका इस्‍तेमाल सैटेलाइट्स को नष्‍ट करने के लिए किया जाता है। अभी तक किसी देश ने दूसरे देश के सैटेलाइट को नष्‍ट नहीं किया है। अगर किसी देश ने ऐसा किया तो शायद दुनिया पहली बार अंतरिक्ष में युद्ध होता हुआ देखे।

हैकर्स हैं सैटेलाइट्स के लिए बड़ी चुनौती

कुछ सैटेलाइट्स में स्‍पीड कम-ज्‍यादा करने के
लिए थ्रस्‍टर्स होते हैं। अगर हैकर्स ऐसे किसी सैटेलाइट को कंट्रोल कर लें तो भयंकर नतीजे हो सकते हैं। फिर उस सैटेलाइट को किसी दूसरे देश के सैटेलाइट से टकराकर युद्ध की भूमिका बनाई जा सकती है। हैकर्स उसे धरती की तरफ भी मोड़ सकते हैं या इंटरनैशनल स्‍पेस स्‍टेशन को भी निशाना बना सकते हैं।दुनिया के कई देशों के बीच में प्रतिस्‍पर्धा ऐसी है कि वे हैकर्स के इस्‍तेमाल कर सैटेलाइट्स को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा स्‍वतंत्र हैकर्स का खतरा अलग है। इसमें हैक कहां से हुआ, यह पता लगा पाना बेहद मुश्किल होता है। हैकिंग के बाद सैटेलाइट्स को बंद किया जा सकता है, सिग्‍नल जैम किए जा सकते हैं। 

अब तक सैटैलाइट्स का कई बार हैक होने का है इतिहास 


1998 में अमेरिकी-जर्मन ROSAT एक्‍स-रे सैटेलाइट पर हैकर्स ने कंट्रोल कर लिया था। उन्‍होने गोड्डार्ड स्‍पेस फ्लाइट सेंटर के कम्‍प्‍यूटर्स हैक किए। फिर सैटेलाइट को निर्देश दिया कि वह अपने सोलर पैनल सीधे सूरज की तरफ कर दे। नतीजा ये हुआ कि सैटेलाइट की बैटरियां राख हो गईं और सैटेलाइट बेकार हो गया। वही सैटेलाइट 2011 में धरती पर क्रैश हुआ। अमेरिका के ही स्‍काईनेट सैटेलाइट को हैकर्स ने फिरौती के लिए हैक कर लिया था। 2008 में नासा के दो सैटेलाइट्स पर हैकर्स ने कंट्रोल हासिल कर लिया था। उसमें चीन की भूमिका की खबरें थीं मगर पुष्टि नहीं हुई। 2018 में चीन समर्थित हैकर्स ने सैटेलाइट ऑपरेटर्स और डिफेंस कॉन्‍ट्रैक्‍टर्स को निशाना बनाना शुरू किया था।

किसी भी देश को घुटनो पर झुकाने की ताकत हैं इन हैकर्स में 

फोन, इंटरनेट, टीवी, रेडियो हर तरह के इलेक्‍ट्रॉनिक कम्‍युनिकेशन के लिए सैटेलाइट्स यूज होते हैं। किसी देश के प्रमुख सैटेलाइट्स को उड़ाने या कंट्रोल करने से उसकी पूरी व्‍यवस्‍था को पंगु किया जा सकता है। अगर एक देश के सैटेलाइट को हैक कर दूसरे देश के सैटेलाइट से टकरा दिया जाए तो उन दो देशों के बीच युद्ध की भारी संभावना बन सकती है।सेनाएं भी सैटेलाइट्स के डेटा पर बहुत निर्भर होती हैं। यानी अगर किसी देश के सैटेलाइट्स को टारगेट किया जाए तो उसकी पूरी संचार व्‍यवस्‍था ध्‍वस्‍त की जा सकती है। 


  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :