कृषि बिल पर राज्यसभा में पक्ष-विपक्ष आमने सामने

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कृषि बिल पर राज्यसभा में पक्ष-विपक्ष आमने सामने

Anjali Yadav 20-09-2020 14:18:34

अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
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संसद के मानसून सत्र की आज 7वां दिन पर कृषि से जुड़े तीन विधेयकों पर आज संसद की अंतिम मुहर लग सकती है. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आज राज्यसभा में कृषि से जुड़े विधेयकों को राज्यसभा में पेश किया. लोकसभा से दोनों बिल पहले ही पास हो चुके हैं. किसानों से जुड़े संगठन इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि विपक्ष भी लगातार इन बिलों के खिलाफ है. वहीं, इन बिलों को लेकर विपक्ष, किसान संगठनों के विरोध के बीच मोदी सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह झुकने वाली नहीं है. हालांकि बिल पास होने के विरोध में एनडीए सरकार की सहयोगी पार्टी अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल इस्तीफा दे चुकी हैं. वही किसानों से जुड़े दोनों विधेयकों को राज्यसभा पारित कराने को लेकर सरकार लगातार प्रयास में जुटी रही.


बिल के समर्थन में कौन

कृषि बिल के समर्थन में नीतीश कुमार की JDU के 5 सदस्यों के साथ बीजेपी के पास 86 सदस्य हैं. निर्दलीय और नामांकित सदस्य भी बीजेपी को समर्थन करेंगे लिहाजा सरकार के पास उच्च सदन में 105 सदस्य होंगे. 

बता दे कि JDU ने कृषि विधेयक का समर्थन किया है. पार्टी के सांसद रामचंद्र सिंह ने कहा कि बिहार 2006 में एपीएमसी अधिनियम से हटने वाला पहला राज्य था. तब से कृषि उत्पादन और खरीद एमएसपी के साथ बढ़ी है. वही YSR कांग्रेस ने कृषि विधेयक का समर्थन किया है. पार्टी के सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि पूर्व की सरकार मिडलमैन का समर्थन करती थी. किसानों को अपने उत्पाद को लाइसेंस प्राप्त बिचौलियों और उनके कार्टेल को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा.


कृषि बिल के विरोध में कौन

कृषि बिल के विरोध में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीएमसी, बसपा, सपा, वामदल, डीएमके, राजद, अकाली दल और टीआरएस सहित 109 सदस्य बिल के खिलाफ वोट करेंगे.

बता दे कि विपक्ष ने राज्यासभा में जमकर बिल के खिलाफ हंगामा किया है. वही सांसदों ने बिल के खिलाफ जमकर कर बयानबाजी भी की है. जंहा शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि
देश में 70 फीसदी लोग खेती से जुड़े हैं. पूरे लॉकडाउन में किसान ही काम रहे थे. सरकार क्या भरोसा दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और आगे देश में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा. जबकि
शिरोमणी अकाली दल के सदस्य नरेश गुजराल ने कहा, 'इन विधेयकों को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए, जिससे सभी हितधारकों की समस्याएं सुनी जा सकें. ' इसके साथ ही उन्होंने बड़े किसान आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि पंजाब के किसानों को कमजोर मत समझिए.


विपक्ष का PM पर वार

साथ ही TMC के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा करती है. लेकिन मैं बता दूं कि किसानों की आय 2028 तक दोगुनी नहीं हो सकती है. ये सरकार सिर्फ वादा करती है. दो करोड़ नौकरी कहां है. तो वहीं कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध करती है. पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना ​​है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है.

बिल को लेकर AAP के सांसद ने भी कहा कि इस बिल के जरिए किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है. यह एक काला कानून है जिसका मैं आम आदमी पार्टी की तरफ से विरोध करता हूं. वही सपा के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार बिल पर बहस नहीं करना चाहती है. वो जल्द से जल्द सिर्फ बिल पास कराना चाहती है. जबकि जेडीएस के सांसद एचडी देवगौड़ा राज्यसभा में कहा, 'प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि महामारी के मद्देनजर विधेयक पास कराने की जल्दबाजी क्यों है. उन्हें यह बताना चाहिए कि लघु और दीर्घावधि में कृषक समुदाय के लिए कृषि विधेयक क्या करेंगे और इससे किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में कैसे मदद मिलेगी.'

किसान बनेगा गुलाम

राज्यसभा में डीएमके सांसद टीकेएस इलांगोवन ने कृषि विधेयकों पर कहा, 'देश के कुल जीडीपी में कम से कम 20 प्रतिशत का योगदान करने वाले किसानों को इन विधेयकों द्वारा गुलाम बनाया जाएगा. यह किसानों को मार देगा और उन्हें एक उपयोगी वस्तु बना देगा.'

इन संख्याओं को देखकर लग सकता है कि सरकार बिलों को आगे बढ़ाने में विफल हो सकती है. लेकिन संख्या का खेल राज्यसभा पर निर्भर करता है. लेकिन वर्षों से देखा जा रहा है कि राज्यसभा का खेल तीसरे खेमे पर निर्भर करता है. वही विपक्ष के भारी हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित हो गई है. अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि इतने भारी हंगामे के बाद भी राज्यसभा में बिल पारित होता है या विपक्ष की जीत होगी.

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