18 लड़ाकू विमानों से घुसपैठ के बाद बोला चीन

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18 लड़ाकू विमानों से घुसपैठ के बाद बोला चीन

Gauri Manjeet Singh 19-09-2020 14:20:44

नई दिल्ली,Localnewsofindia अमेरिका-ताइवान दोस्ती से चिढ़े चीन ने ताइवान पर कब्जा कर लेने की धमकी दी है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी कीथ क्रैच के दौरे से बौखलाए चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि शुक्रवार को लड़ाकू विमानों का ड्रिल चेतावनी देने के लिए नहीं था, बल्कि ताइवान पर कब्जे का रिहर्सल था। चीन ने शुक्रवार को शक्ति प्रदर्शन करते हुए ताइवानी क्षेत्र में लड़ाकू जेट समेत 18 विमान उड़ाए। कम्युनिस्ट सरकार के मुखपत्र में यह भी कहा गया है कि ताइवान की स्वतंत्रता खत्म होने वाली है। उसने कहा है कि वह युद्द से पीछे नहीं हटता और इसके लिए उसने भारत सीमा का भी जिक्र किया है।

चीनी अखबार ने अमरिकी दौरों को लेकर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि हर बार जब कोई अमेरिकी अधिकारी ताइवान आए तो पीएलए के लड़ाकू विमानों को आइलैंड की ओर और आगे बढ़ना चाहिए और यदि अमेरिका के विदेश या रक्षा मंत्री ताइवान आते हैं तो इसके लड़ाकू विमान आइलैंड के ऊपर उड़ें और मिसाइलें राष्ट्रपति ऑफिस के ऊपर से। यदि ताइवान प्रशासन आक्रामकता दिखाता है तो यह सच होगा। 

इस सैन्य अभ्यास ने दो अहम सिग्नल भेजे हैं। पहला यह कि यह विरोध अमेरिका और ताइवान के बीच मिलीभगत को लेकर है। दूसरा यह कि पीएलए की प्रतिक्रिया बेहद तेज है। ताइवान और अमेरिका ने तब तक क्रैच के दौरे को गोपनीय रखा जब तक वे विमान में सवार नहीं हो गए। वह गुरुवार को ताइवान पहुंचे। पीएलए की ओर से अडवांस में सैन्य अभ्यास का ऐलान नहीं किया गया था। युद्धाभ्यास का फैसला आखिरी मिनटों में लिया गया। इससे बता दिया गया है कि चीन बड़ी कार्रवाई को बेहद कम समय में अंजाम दे सकता है। यद दिखाता है कि पीएलए के पास ताइवान के खिलाफ बेहद कम समय में एक्शन की क्षमता है। 

शी चिनपिंग के मुखपत्र ने कहा है कि इस और पुराने युद्धाभ्यासों से पीएलए ने ताइवान पर हमले का अनुभव हासिल कर लिया है। यह ताइवान पर कब्जे को लेकर रिहर्सल है। केवल
एक राजनीतिक वजह की आवश्यकता है जिससे ये अभ्यास वास्तविक युद्ध में बदल जाएंगे। ताइवान स्ट्रेट में अशांति की सबसे बड़ी वजह अमेरिका से उसकी दोस्ती है। अमेरिका को यहां दे दूर रखने के लिए सैन्य सहित कोई भी कदम उठाया जा सकता है। 

चीनी सरकारी मीडिया ने कहा कि ताइवान और अमेरिका स्थिति का गलत आकलन ना करें यह ना मानें कि यह अभ्यास दिखावा है। यदि वे उकसाते रहे तो युद्ध होना तय है। जिन्होंने भी हाल ही में चीन के दृढ़ संकल्प को कम आंका है, कीमत चुकाई है। चीन ने हांगकांग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कार्यान्वयन को निर्णायक रूप से आगे बढ़ाया। चीन ने दिखाया है कि वह भारत-चीन सीमा पर युद्ध से नहीं डरता। ताइवान एक छोटा सा स्थान है और इसके पास आधुनिक सैन्य युद्ध का कोई विकल्प नहीं। ताइवान की स्वतंत्रता खत्म होगी।

इसलिए चिढ़ा है चीन

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी कीथ क्रैच ने शुक्रवार को ताइवान के आर्थिक मामलों के मंत्री और उप प्रमुख के साथ चर्चा की। उन्होंने उद्योग जगत के नेताओं से भी मुलाकात की और राष्ट्रपति साई इंग वेन के साथ भोजन किया। इस दौरान चीन ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए 18 लड़ाकू विमानों को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में भेज दिया। चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और इस स्वशासित द्वीप और अन्य किसी देश के बीच किसी भी तरह की औपचारिक वार्ता का सख्ती से विरोध करता है।  

 1979 के बाद पहली बार इस तरह की दोस्ती

कीथ दशकों बाद इस द्वीप का दौरा करने वाले विदेश मंत्रालय के पहले उच्च स्तरीय अधिकारी हैं। इससे पहले अगस्त में अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजर ताइवान के दौर पर आए थे। 1979 में अमेरिका और ताइवान की सरकार के बीच आधिकारिक संबंध समाप्त होने के बाद किसी उच्च स्तरीय अमेरिकी अधिकारी का वह पहला ताइवान दौरा था। अमेरिका ने ताइवान के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध समाप्त होने के बाद भी अनौपचारिक संबंध बनाए रखे और वह द्वीप का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी और रक्षा साजो सामान का आपूर्तिकर्ता है।

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