बिहार में चुनाव से पहले महागठबंधन को झटका

पुलिस ने लेवी मांगनेवाले दो अपराधियों को हथियार सहित दबोचा Karauli : श्री महावीर जी में भगवान जिनेन्द्र की निकली रथ यात्रा पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बीच स्थित नहरों का जंक्शन है खास 29 को कल्पना सोरेन गांडेय से करेगी नामांकन बीजापुर के आराध्य देव चिकटराज मेले का हुआ समापन उत्तराखंड: चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लगातार जारी कांग्रेस प्रत्याशी ने किया नामांकन फॉर्म जमा - झाबुआ रामपुर पहुंचे संजय सिंह, कहा- इंडिया गठबंधन की बनेगी सरकार दंतेवाड़ा 18 नक्सली सरेंडर हमीरपुर में मतदान बढ़ाने का लिया गया संकल्प मऊ में मतदान के लिए दिलाई गई शपथ गर्मियों में बढ़ गई है गैस और अपच की समस्या Dream Girl 3 में अनन्या पांडे नहीं सारा अली खान नजर आएगी Liquor Shop Closed: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में आज से 26 अप्रैल तक बंद रहेंगे ठेके PM-चुनावी दौरा-प्रदेश मतदाता जागरूकता-प्रदेश पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे यात्रियों को किफायती मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराएगा आज का राशिफल पीलीभीत में सड़क सुरक्षा जागरूकता को स्कूलों में दिलाई गई शपथ चुनाव प्रचार समाप्त

बिहार में चुनाव से पहले महागठबंधन को झटका

Gauri Manjeet Singh 02-09-2020 16:09:15

पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) 3 सितंबर को एनडीए में शामिल हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार, मांझी को राज्यसभा भेजा जा सकता है। राज्यसभा में बिहार की सीट खाली होते ही मांझी को जदयू कोटे से टिकट मिल सकता है। सीट शेयरिंग के समय 'हम' को 10 सीट देने पर बात बनी है।

हम के कुछ नेता जदयू के सिंबल पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह महा गठबंधन को बड़ा झटका माना जा रहा है। पिछले महीने ही हम ने महागठबंधन का साथ छोड़ा था।

बिना शर्त एनडीएम में शामिल होंगे मांझी
जीतन राम मांझी ने एनडीए में शामिल होने का ऐलान कर दिया है। बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मांझी ने कहा कि बिना शर्त एक पार्टनर के रूप में एनडीए में शामिल होंगे। हमारी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का जदयू में विलय नहीं होगा। हम एनडीए के सहयोगी दल के रूप में काम करेंगे। हमारी कोई शर्त नहीं है। सीट बंटवारा हो या कोई और बात, सभी पर समझौते के हिसाब से काम होगा।

राजद ने मेरे बेटे को एमएलसी बनाकर एहसान नहीं किया: मांझी
मांझी ने कहा कि मेरे बेटे को एमएलसी बनाकर राजद ने कोई एहसान नहीं किया। राजद ने अपने फायदे के लिए यह किया। राजद में भाई-भतीजावाद और करप्शन है। मैंने कोऑर्डिनेशन कमिटी के लिए काफी समय तक आवाज उठाई। राजद और कांग्रेस को काफी समय दिया, लेकिन ये लोग कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने के पक्ष में नहीं थे, जिस वजह से दूरी बढ़ी। बिहार में एनडीए की फिर सरकार बने इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दूंगा।

लालू राज को आगे बढ़ाने में लगे हैं तेजस्वी
हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, 'एनडीए में हमारी पार्टी राज्य और देश के विकास के मुद्दे पर शामिल हो रही है। चुनाव में हमें कितनी सीट मिलती हैं, यह मुद्दा नहीं है। तेजस्वी यादव से हमारी पार्टी को उम्मीद थी कि वह युवा नेता हैं। राजद के पुराने ढर्रे को छोड़कर बिहार के विकास के लिए काम करेंगे। लेकिन, जिस तरह से राज्यसभा और विधान परिषद के टिकट बेचे गए, इससे साफ हो गया कि तेजस्वी कार्यकर्ता और राज्यहित में नहीं सोच सकते।'

उन्होंने कहा, 'तेजस्वी हमेशा धन हित में सोचेंगे। 15 साल लालू प्रसाद यादव का शासनकाल था। वह उसी शासनकाल को आगे बढ़ाने की सोच रहे हैं। यह राज्य के हित में नहीं है। इसके
चलते हमारी पार्टी ने तय किया कि महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल होना है।

राजद के एकतरफा फैसला लिए जाने से नाराज थे मांझी
महागठबंधन में राजद द्वारा एकतरफा फैसला लिए जाने से सहयोगी दलों में नाराजगी थी, जिसका नतीजा 20 अगस्त को हम के महागठबंधन छोड़ने के रूम में सामने आया। हम के नेता जीतनराम मांझी ने महागठबंधन में संयुक्त रूप से फैसला लेने के लिए कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की थी। उन्होंने कई बार अल्टीमेटम दिया, लेकिन इस पर पहल नहीं हुई, जिसके चलते मांझी महागठबंधन से अलग हो गए। राजद ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। महागठबंधन के दूसरे दलों को यह एकतरफा फैसला ठीक नहीं लगा। राजद के 7 विधायक और 5 विधान पार्षद अभी तक जदयू में शामिल हो चुके हैं। जदयू के विधायक और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने राजद में घर वापसी की थी।

नीतीश के इस्तीफे के बाद सीएम बने थे मांझी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में जेडीयू के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए मई 2014 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। नीतीश ने अपनी जगह अपनी कैबिनेट में मंत्री रहे जीतनराम मांझी को सीएम बनाया था। मुख्यमंत्री बनने के 10 महीने बाद नीतीश कुमार ने उनसे पद छोड़ने के लिए कहा तो मांझी ने मना कर दिया था। उन्होंने नीतीश पर आरोप लगाया था कि वह उन्हें रवड़ स्टैंप सीएम बनाना चाहते हैं। इस पर नीतीश ने उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया था। 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित न कर पाने के कारण मांझी ने इस्तीफा दे दिया था।

एनडीए से अलग होकर सीएम बने थे नीतीश
नीतीश एनडीए से अलग होकर राजद व कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर सीएम बने। यह सरकार सिर्फ 20 माह चली। नीतीश महागठबंधन से अलग हो गए और एनडीए में शामिल होकर फिर से सरकार बना ली। एनडीए में नीतीश के आ जाने के चलते मांझी एनडीए से अलग हो गए थे और महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे।

20 सीटों पर लड़े मांझी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली

इसके बाद मांझी ने अपनी अलग पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बनाई। 11 जून 2015 को जीतनराम मांझी ने भाजपा के साथ गठबंधन की घोषणा की। 2015 का विधानसभा चुनाव मांझी ने एनडीए के सहयोगी के रूप में लड़ा। 20 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन जीत सिर्फ एक सीट पर मिली।

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :