पुण्य तिथि खाश : नेहरू जी की वसीयत में ये थी खास बात

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पुण्य तिथि खाश : नेहरू जी की वसीयत में ये थी खास बात

Deepak Chauhan 27-05-2019 17:55:57

आजादी के बाद भारत के सबसे पहले बने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आज 55वीं पुण्यतिथि है. नेहरू की 55वीं पुण्यतिथि के मौके पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी जैसे कई बड़े नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी. आज हम आपको नेहरू के पुण्यतिथि के मौके पर उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बाते बताने जा रहे हैं, जिससे शायद आप अबतक अंजान हैं. चलिए जानते हैं नेहरू से जुड़ी कुछ बातें-

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म पेशे से वकील मोतीलाल नेहरू के घर में 14 नवंबर 1889 को हुआ था. नेहरू ने अपना बचपन इलाहाबाद (प्रयागराज) में ही गुजरा. 15 साल की आयु में नेहरू को स्कूलिंग के लिए इंग्लैंड के हैरो स्कूल में भेज दिया गया. इसके बाद इन्होंने केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. ग्रेजुएशन के बाद नेहरू अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लंदन चले गए. इसके बाद नेहरू ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री पूरी की.

पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नेहरू भारत लौटे, तो उनका विवाह 1916 में कमला कौल के साथ हुआ. कमला कौल कश्मीरी परिवार से थीं, जो दिल्ली में
बसे हुए थे. नेहरू 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आए.

अपनी राजनीति करियर के दौरान नेहरू गांधी के ढाल बनकर रहे. 1942 में हुए 'भारत छोड़ो' आंदोलन में नेहरूजी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इन आंदोलन के दौरान वे 9 अगस्त 1942 में बंबई में गिरफ्तार हुए, जहां से उन्हें अहमदनगर जेल भेज दिया गया. करीब तीन साल तक वे जेल में रहे, इसके बाद उन्हें 15 जून 1945 को रिहा हुए. पंडित नेहरू ने ही पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया था.


इन्हें ही भारत के आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है. भारत की आजादी के बाद नेहरू को 1947 में देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया.


नेहरू का निधन 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ. अपने निधन से पहले उन्होंने एक वसीयत तैयार की, जिसमें उन्होंने लिखा था, "मैं चाहता हूं कि मेरी मुट्ठीभर राख प्रयाग के संगम में बहा दी जाए जो हिन्दुस्तान के दामन को चूमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखरा दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिलकर एक हो जाए..."

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