Kashish || @LocalNewsOfIndia
ईरान और इजरायल के बीच जारी खूनी संघर्ष अब एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। बीते 12 दिनों से जारी इस युद्ध में अब एक नई चिंता उभरकर सामने आई है—ईरान ने सोमवार देर रात अमेरिकी सैन्य हितों को सीधे निशाना बनाया। आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, तेहरान ने अमेरिका के एक स्पेसबेस (Space Surveillance Facility) पर देर रात एयरस्ट्राइक की, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता फैल गई है। इस हमले के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि अब युद्ध केवल इजरायल और ईरान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अमेरिका भी इसमें सीधे तौर पर खिंचता नजर आ रहा है।
अमेरिकी स्पेसबेस पर ईरान का हवाई हमला
ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने सोमवार रात लगभग 2:30 बजे (स्थानीय समय) अमेरिका के एक गुप्त अंतरिक्ष निगरानी केंद्र को निशाना बनाया। यह बेस कतर और यूएई के बीच अमेरिकी सैटेलाइट डेटा और मिसाइल ट्रैकिंग नेटवर्क का एक अहम हिस्सा था। बताया जा रहा है कि ईरान ने इस बेस पर लंबी दूरी की मिसाइल और ड्रोन दोनों का इस्तेमाल करते हुए सटीक हमला किया। हालांकि अब तक अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (Pentagon) ने आधिकारिक रूप से इस हमले की पुष्टि नहीं की है, लेकिन कई अमेरिकी रक्षा सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि हमले से सिस्टम को अस्थायी नुकसान हुआ है और कुछ उपग्रह कनेक्शन बाधित हुए हैं।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ घंटे पहले ही ईरान और इजरायल के बीच ‘पूर्ण और समग्र’ युद्धविराम की घोषणा की थी। यह एक सीधा संकेत है कि ईरान अमेरिका की मध्यस्थता को न केवल खारिज कर रहा है, बल्कि अब उसे संघर्ष का भागीदार मानते हुए जवाबी रणनीति अपना रहा है।
इजरायल में मिसाइलों की बारिश, छह की मौत
इसी दौरान, ईरान ने इजरायल के दक्षिणी शहर बीरशेबा पर एक घंटे में तीन बार मिसाइलें दागीं, जिसमें छह नागरिकों की मौत हो गई और आठ गंभीर रूप से घायल हो गए। मिसाइल हमलों के बाद पूरे देश में आपातकाल जैसे हालात बन गए हैं। तेल अवीव सहित कई शहरों में सायरन गूंजने लगे और लोगों को बंकरों में छिपने का आदेश दिया गया।
इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे जब तक सेना स्पष्ट निर्देश न दे, तब तक
सुरक्षित स्थानों में ही रहें। वहीं, इजरायल की ओर से ट्रम्प द्वारा घोषित युद्धविराम पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन स्थानीय मीडिया का दावा है कि इजरायली हमले फिलहाल रुके हुए हैं।
बगदाद में ड्रोन हमला और खतरे का विस्तार
तेल अवीव और वाशिंगटन के अलावा, बगदाद में भी सैन्य गतिविधियां तेज हो गई हैं। मंगलवार तड़के एक अज्ञात ड्रोन ने इराक के ताजी सैन्य अड्डे पर हमला किया और सेना के रडार सिस्टम को निशाना बनाया। यद्यपि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन यह साफ संकेत है कि ईरान के समर्थक गुट या स्वतंत्र मिलिशिया अब इस युद्ध को और क्षेत्रों तक फैलाने को तैयार हैं।
अमेरिका की सैन्य मौजूदगी और रणनीतिक खतरा
मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी इस युद्ध को और भी संवेदनशील बना देती है। क्षेत्र में अमेरिका के करीब 45,000 सैनिक तैनात हैं। कुवैत, कतर, यूएई, बहरीन, इराक, सीरिया और सऊदी अरब में फैली इन सैन्य इकाइयों के जरिए अमेरिका इस पूरे क्षेत्र पर नजर रखता है। लेकिन अब जब ईरान ने अमेरिकी स्पेसबेस को ही निशाना बना लिया है, तो यह केवल एक चेतावनी भर नहीं, बल्कि युद्ध के नए चरण की शुरुआत मानी जा रही है।
शांति की उम्मीदें धूमिल, वैश्विक संकट की आहट
ईरान की यह आक्रामकता दर्शाती है कि वह अब केवल जवाबी कार्रवाई नहीं कर रहा, बल्कि रणनीतिक लक्ष्यों को निशाना बनाकर अमेरिका और इजरायल दोनों को संदेश दे रहा है। इस घटनाक्रम से वैश्विक शांति की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। होरमुज जलडमरूमध्य, वैश्विक तेल आपूर्ति, साइबर सुरक्षा और सैटेलाइट संचार जैसे क्षेत्रों पर खतरा मंडराने लगा है। भारत, यूरोपीय संघ, चीन और रूस की सरकारें भी इस संघर्ष को लेकर चिंतित हैं और बैकडोर कूटनीति के जरिए तनाव को शांत करने की कोशिश में लगी हुई हैं।
ईरान और इजरायल के बीच शुरू हुआ युद्ध अब एक बहु-आयामी संघर्ष बन चुका है, जिसमें अमेरिका की सीधी भागीदारी, क्षेत्रीय अस्थिरता और वैश्विक रणनीतिक संकट की संभावनाएं बढ़ गई हैं। अमेरिकी स्पेसबेस पर ईरान का हमला इस बात का प्रमाण है कि संघर्ष अब ‘प्रतिरोध’ से आगे जाकर ‘रणनीतिक बदले’ की दिशा में बढ़ रहा है। शांति की राह और कठिन हो गई है, और दुनिया एक बार फिर एक बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ी है।
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