मुस्कान सिंह
@localnewsofindia
नई दिल्ली एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के लिए विदेशी तकनीक, घंटों लाइन में लगने से छुटकारा, सिर्फ 3 सेकंड में होगा काम
एयरपोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खास कदम उठाए गए हैं। अब यात्रियों को लंबी लाइन में लगने से छुटकारा मिलेगा। विदेशी तकनीक का सहारा लेकर सुरक्षा व्यवस्था पहले से हाईटेक कर दी गई है।
नई दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है। ऐसे में कई बार यात्रियों को सुरक्षा जांच के लिए घंटो लाइन में खड़ा होना पड़ता है। इन लाइनों को कम करने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर अब फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाएंगे। ये तकनीक पहले से ही अमेरिका और कनाडा के एयरपोर्ट्स पर इस्तेमाल हो रही है।
एक घंटे में 1200 से अधिक लोगों की सिक्योरिटी चेकिंग
इन आधुनिक फुल बॉडी स्कैनर्स में क्षमता 3 सेकंड में सुरक्षा जांच को पूरी करने की है। प्रति घंटे में 1200 से अधिक स्कैन करने की है। ये प्रोसेस ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी के दिशा-निर्देश में शुरू किया गया है। टर्मिनल 1 और टर्मिनल 3 के लिए चार का बॉडी स्कैनर लगाए गए हैं, जिनका ट्रायल जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।
मई में शुरू हो जाएंगी हाईटेक मशीनें
इंदिरा गांधी
अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे पर फुल बॉडी स्कैनर का टेस्ट मई में शुरू होगा, जिसमें टर्मिनल 1 (T-1) और टी-3 पर दो-दो स्कैनर लगाए गए हैं। एयरपोर्ट के अधिकारी ने कहा, 'इन मशीनों के लिए आईटी इंटरफेस को अंतिम रूप दिया जा रहा है और तीन से चार महीने का परीक्षण पूरा होने पर नागरिक उड्डयन ब्यूरो (BCAS) के नेतृत्व वाली समिति निष्कर्षों का मूल्यांकन करेगी। पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) स्थापित करेगी।'
यात्रियों की गोपनीयता का रखा जाएगा खयाल
अधिकारी ने कहा कि स्कैनर मिलीमीटर-वेव प्रौद्योगिकी का उपयोग करेंगे और इसका उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ यात्रियों की गोपनीयता सुनिश्चित करना है। स्कैनर विस्फोटकों सहित धातु और गैर-धातु दोनों प्रकार के खतरों का पता लगाने में सक्षम होगा, जो पारंपरिक मेटल डिटेक्टरों की तुलना में काफी बेहतर होगा।
विदेशी एयरपोर्ट में पहले से चल रहीं ये मशीनें
यह तकनीक पहले से ही अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर इस्तेमाल की जा रही है। अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक स्कैन में केवल तीन सेकंड लगते हैं। प्रति घंटे 1,200 लोगों की सुरक्षा जांच की जा सकेगी। यात्रियों की असुविधा को कम करते हुए सुरक्षा में पहले से अधिक ध्यान दिया गया है।
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