लगातार बढ़ते प्रदूषण और तेलों की कीमतों से निपटने के लिए मोदी सरकार दो (Modi Sarkar 2) ने अपने हालिया बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर बड़ी घोषणा की है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ई-वाहनों पर जीएसटी रेट 12 पर्सेंट से घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया है। साथ इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने को लिए गए लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट की भी घोषणा की है। सरकार इस कदम से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लोगों के लिए किफायती बनाना चाहती है।
देश में इलेक्ट्रिकल गाड़ियों का दौर अभी शुरूआती चरण में है। जीरो मेंटीनेंस और सर्विस मुक्त होने के साथ ही इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलाने में भी काफी किफायती हैं। लिहाजा ऑटो शो से लेकर ऑनलाइन सर्ज में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ लोगों का रुझान साफ दिख रहा है। हालांकि ये रुझान, बिक्री में तब्दील नहीं हो पा रहा है और उसकी सबसे बड़ी वजह है ईलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग।
बाजार में मौजूद इलेक्ट्रिक कारें फिलहाल एक बार चार्ज करने पर औसतन पांच से आठ घंटे या तकरीबन 250-450 किमी तक का सफर तय करती हैं। ये कार की बैट्री पर निर्भर करता है। ऐसे में इन वाहनों को तकरीबन हर दिन चार्जिंग की जरूरत है। इनकी चार्जिंग में भी काफी वक्त लगता है। कार को पूरी तरह से चार्ज करने में लगभग 5-6 घंटे का वक्त लगता है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ लॉग ड्राइव नहीं की जा सकती। इसके अलावा इनकी टॉप स्पीड भी पेट्रोल, डीजल या सीएनजी कारों के मुकाबले कम है।
इसके अलावा दिल्ली जैसे महानगरों में बहुमंजिला इमारत की ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले लोगों के लिए भी फिलहाल कार चार्जिंग का इंतजाम कर पाना किसी चुनौती की तरह है। अगर आप भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर कुछ ऐसी ही राय रखते हैं तो अपना नजरियां बदल ले। इलेक्ट्रिक वाहनों पर केंद्र की छूट संबंधी घोषणा के बाद इनकी खरीदार तो आसान हुई है, साथ ही इनकी चार्जिंग व्यवस्था भी आसान हो चुकी है।
जी हां, अब आप इलेक्ट्रिक वाहन के साथ आसानी से लॉग ड्राइव पर निकल सकते हैं। रास्ते में वाहन चार्ज करने के लिए आपको बहुत भटकना नहीं पड़ेगा। गूगल की मदद से अब आप आसानी से ई-वाहन के लिए चार्जिंग स्टेशन तलाश सकते हैं। गूगल मैप पर ये सुविधा प्रदान की गई है। इसके लिए आप गूगल मैप के सर्विसेज में जाकर इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग (Electric Vehicle Charging) विकल्प का चुनाव कर आपने आसपास मौजूद चार्जिंग स्टेशन की लोकेशन आसानी से देख सकते हैं। इसके अलावा आपको जिस शहर में जाना है, वहां भी चार्चिंग स्टेशन का पता लगाने के लिए आप संबंधित शहर का नाम लिखकर गूगल में सर्च कर सकते हैं।
गूगल ने भले ही चार्जिंग स्टेशन की लोकेशन बताने की पहल कर दी हो, लेकिन अभी भी इसमें एक व्यावहारिक दिक्कत है। दरअसल नोएडा, दिल्ली व गुड़गांव जैसी मेट्रो सिटी में तो आपको अपने आसपास काफी संख्या में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन दिख जाएंगे। इसके विपरीत छोटे शहरों में आपको चार्जिंग स्टेशन की संख्या काफी कम दिखेगी। साथ ही छोटे शहरों में बिजली कटौती भी एक समस्या हो सकती है।
छोटे शहरो या लंबे रास्तों पर भी ईलेक्ट्रिक व्हीकल की चार्जिंग की समस्या जल्द खत्म होने वाली है। दरअसल केंद्र सरकार सभी राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे पर जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन बनाने की दिशा में काम कर रही है। कुछ जगहों पर इसका काम शुरू भी हो चुका है। इन चार्जिंग स्टेशन की खासियत ये होगी कि
यहां आम चार्जिंग स्टेशन के मुकाबले काफी तेजी से और तकरीबन आधे समय में ही वाहन को चार्ज करने की सुविधा होगी, ताकि लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में देरी न हो। इसके अलावा वाहन कंपनियां भी ऐसे इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने की दिशा में काम कर रही हैं, जिनकी बैट्री लंबे समय तक चले। जिन्हें सोलर एनर्जी से या बिजली के द्वारा जल्दी चार्ज किया जा सके और जिनकी रफ्तार भी अच्छी हो।
दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे, भारत का पहला ऐसा हाईवे बनने जा रहा है, जहां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन भी होंगे। 2020 तक ये हाईवे तैयार हो जाएगा। यमुना एक्सप्रेसवे (दिल्ली-आगरा के बीच) और राष्ट्रीय राजमार्ग 48 (दिल्ली-जयपुर के बीच) की कुल दूरी 500 किमी होगी और दो मार्गों पर टोल प्लाजा के पास 18 चार्जिंग स्टेशन होंगे। इनमें 8 दिल्ली-आगरा के बीच और 10 दिल्ली-जयपुर के बीच होंगे। इन कॉरिडोर पर टेस्ट रन इसी वर्ष सितंबर से शुरू होगा और ई-कॉरिडोर को मार्च 2020 तक शुरू कर दिया जाएगा। यहां वाहन चार्ज करने के अलावा, पहले से चार्ज बैटरी भी बदल सकेंगे। हर स्टेशन पर 8 से 10 चार्जर और 20 चार्जिंग प्वाइंट होंगे। ग्रेटर नोएडा के परी चौक और दिल्ली के बीच छह और चार्जिंग स्टेशन प्रस्तावित हैं। देश के अन्य हाईवे और शहरों में सरकारी प्रयासों से ई-वाहन के चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने की परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है।
चीन के पास दुनिया के 250 मिलियन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का 99 फीसद है। यह दुनिया में इलेक्ट्रिक यात्री कारों की कुल संख्या का लगभग 100 गुना है। 1999 की शुरूआत में बीजिंग ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की दिशा में कदम उठाया। उस वक्त यहां इलेक्ट्रिक साइकिलें उतारी गईं थीं, जो 20 किमी प्रति घंटे (12 मील प्रति घंटे) से अधिक तेजी से नहीं चल सकती थीं।
हाल में दिल्ली सरकार ने राजधानी में पहले चार्जिंग स्टेशन की शुरूआत की है। हालांकि दिल्ली में कई निजी चार्जिंग स्टेशन भी हैं। दिल्ली सरकार ने कहा कि अगले साल तक बीएसईएस द्वारा 50 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। दिल्ली सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी के लिए सौर नीति और इलेक्ट्रिक वाहन नीति को हरी झंडी दिखाई थी। इसके साथ दिल्ली में चार्जिंग स्टेशन की स्थापना BSES Rajdhani Power Limited (BRPL), Gensol Charge Privatet Limited और Techperspect के साथ मिलकर की जा रही है।
चार्ज की अस्थायी लागत, बिजली की लागत (डीईआरसी टैरिफ के अनुसार) और ओवरहेड्स (पार्किंग शुल्क, उपकरण लागत की वसूली, आदि) सहित पूर्ण शुल्क के लिए 160 रुपये और 200 रुपये के बीच होगी। जिसका मतलब है कि उपभोक्ता 1.60 रुपये से 1.80 रुपये प्रति किमी का भुगतान करेंगे।
वर्ष 2019-20 में देश के सरकारी विभागों में मौजूद पेट्रोल व डीजल कारों को इलेक्ट्रिक कारों से बदला जाना है। एनर्जी ऐफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने एक वर्ष के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों में इस्तेमाल होने वाली पांच लाख मौजूदा कारों को बिजली से चलने वाली कारों में बदलने का फैसला किया है। इससे देश में सालाना 120 करोड़ लीटर पेट्रोल या डीजल की बचत होगी। यह वर्ष 2030 तक देश में कुल वाहनों के 30 फीसद के बिजली से चलने के लक्ष्य को हासिल करने में अहम कदम होगा। इस क्रम में करीब छह माह पहले वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग में 15 ईलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल की शुरुआत की गई। इससे सालाना 36 हजार लीटर पेट्रोल व डीजल की बचत होगी।
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