अपशिष्टों पदार्थों से गंगा को प्रदूषित करने वाले उद्योगों के खिलाफ 15 दिनों में कार्रवाई करने के निर्देश

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अपशिष्टों पदार्थों से गंगा को प्रदूषित करने वाले उद्योगों के खिलाफ 15 दिनों में कार्रवाई करने के निर्देश

Khushboo Diwakar 03-08-2019 14:39:14

    • सीपीसीबी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के बोर्ड को कार्रवाई करने को कहा
    • बोर्ड ने कहा- विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों पदार्थों से गंगा प्रदूषित हो रही है
    • इस संबंध में अप्रैल में बैठक हुई थी, लेकिन बोर्ड ने पाया कि अभी तक इस बारे में काम पूरा नहीं हुआ
    • नई दिल्ली. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने गंगा नदी में औद्योगिक इकाईयों द्वारा अपशिष्ट पदार्थों को लगातार बहाए जाने को लेकर चार राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीपीसीबी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के प्रदूषण बोर्ड से कहा कि यदि औद्योगिक इकाईयां पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं कर रही हैं तो उ‌न्हें तत्काल बंद कराया जाए।

      सीपीसीबी ने इन राज्यों के नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा- यदि उन्हें निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होती तो वे रिपोर्ट प्राप्त होने के 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करें। जरूरी हो तो उन्हें बंद कराएं। 400 से अधिक औद्योगिक इकाईयों का निरीक्षण किया गया, लेकिन संस्थानों ने इस बारे में कुछ रिपोर्ट जमा कराई है। इसमें आईआईटी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और 12 अन्य संस्थान शामिल है। 

      संस्था ने एक हफ्ते पहले पत्र लिखा था

      संस्था ने एक हफ्ते पहले लिखे पत्र में कहा- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल
      और बिहार में स्थित रासायनिक, नशीले, चीनी, लुगदी और कागज, कपड़े, खाद्य पदार्थ और डेयरी उद्योगों के द्वारा अपशिष्ट पदार्थों को सीधे गंगा में बहाया जा रहा है। इससे नदी और इसकी सहायक नदियों के पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। यदि सभी प्रदूषित इकाईयों का निरीक्षण हो जाता है तो, तकनीकी संस्थानों को 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट जमा कराना चाहिए।

      उत्तर प्रदेश में सिर्फ 153 रिपोर्ट जमा हुई

      पत्र में कहा गया कि 21 जुलाई तक बिहार और उत्तराखंड में प्रदूषण फैलाने वाले 31 औद्योगिक इकाईयों की जांच करवाई गई लेकिन बिहार के बोर्ड को एक और उत्तराखंड के बोर्ड को चार रिपोर्ट ही जमा कराए गए। उत्तर प्रदेश में 380 इकाईयों का निरीक्षण हुआ लेकिन सिर्फ 153 रिपोर्ट ही बोर्ड को सौंपी गई हैं। पश्चिम बंगाल में 46 इकाईयों की जांच कराई गई लेकिन सिर्फ नौ रिपोर्ट ही जमा कराई गई हैं।

      सीपीसीबी ने अप्रैल में बैठक की थी

      इससे पहले, सीपीसीबी ने इन राज्यों के बोर्ड, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के अधिकारियों और 19 तकनीकी संस्थानों के साथ अप्रैल में बैठक की थी। इसमें यह निर्णय लिया गया कि सभी संस्थान अपनी निरीक्षण रिपोर्ट संबंधित राज्य के बोर्ड को सौंपेंगे। इसमें बोर्ड को 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करने को कहा गया था। हालांकि, सीपीसीबी ने पाया कि अभी इस संबंध में निरीक्षण चल रहा है।

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