विश्व में अपना नाम रोशन करने वाले रजनीश जैन उर्फ़ ओशो आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके द्वारा दिए गए वचनों में आज भी वाही जान है जो उस वक्त थी | ओशो बहुत ही ज्ञानी व्यवहारिक और प्रैक्टिकल बातों पर विश्वास करते थे ,उन्होंने कभी अं धविश्वास, दकियानूसी बातों पर विश्वास नहीं किया नहीं किया अपने अनुयायियों से कहा की वह इस तरह की जिंदगी ना जिए ओशो हमेशा यही कहते रहे कि पहले आप इन भौतिक संसाधनों से अपने जीवन को तृप्त कर लो उसके बाद ही आपको कुछ हासिल होगा कहना बहुत आसान था करना बहुत कठिन था |
आज का मनुष्य इन भौतिक संसाधनों के मिथ्या जाल में लालच में इतना फंसा हुआ है कि उसने अपनी आत्मा को परमात्मा से जुड़ने के तमाम रास्ते बंद हो गए हैं. फिर भी वह जिए जा रहा है इस पर उसने कहा है की पहले तो आप तमाम पीपाआशाओं को शांत
करें फिर आपको भगवान जिसकी खोज मनुष्य सदियों से करते आ रहा है एक क्षण में प्राप्त हो जायेंगे उनके कहने का मतलब यह था कि पहले आप इस भ्रमित जीवन से तो बाहर निकले इस जंजाल को तो थोड़े तभी तो आगे की रहा है आसान होगी ओशो की तमाम कोशिशों के बावजूद यह दुर्भाग्य रहा है कि उन्होंने ने या उनके शिष्यों ने अभी तक अपने आप को इस मुकाम तक नहीं पहुंचा पाए स्वयं ओशो अपने पूरे जीवन काल में इसी भगवान की खोज करते रहे लेकिन नहीं मिले बहुत उपदेश उन्होंने दिए उनकी वाणी में सम्मोहन शक्ति थी तर्क कसौटी पर खरे उतरते थे सुनने वालों को लगता था कि यह बहुत ही सत्य है लेकिन जब तक वह उसे सुनता था तभी तक वह सम्मोहित रहता था सुनने के बाद उसने अपने जीवन में इसका अमल नहीं किया ना ही ओशो की वाणी ने उस पर स्थाई छाप छोड़ी |
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