धीरेंद्र श्रीवास्तव
लखनऊ /बागपत . उत्तर प्रदेश के आठ लोकसभा क्षेत्रों में हुए मतदान के रुझान से स्पष्ट है कि जाटलैंड में चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे जयन्त चौधरी की वापसी हो रही है जो भारतीय जनता पार्टी के लिए शुभ नहीं है. पश्चिमी यूपी की ये सभी आठ सीटें पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के पास थीं. ये सीटें हैं, मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, मेरठ, बागपत, सहारनपुर, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर.अगर ईवीएम मशीन का कोई खेल न हुआ तो जाटलैंड में भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है .
दो हजार चौदह के लोकभा चुनाव में मुजफ्फरनगर कांड को लेकर इस इलाके में जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ. इस ध्रुवीकरण में एक पक्ष का अगुवा खुद जाट था. वोट में भी दोनों पक्षों में एक दूसरे को मात देने की होड़ थी. परिणाम रहा 65.76 फीसदी मतदान. इस ध्रुवीकरण में औरों के साथ ही अजित और जयन्त भी उड़ गए. दलित वोटों की थाती के बावजूद बहुजन समाज पार्टी जीरो पर आउट हुई. यूपी में राजपाठ होने ने बाद भी परिणाम आने पर समाजवादी मुंह लटकाए दिखे. पहले से हार रही कांग्रेस ने एक और हार का प्रमाणपत्र ग्रहण किया. और, इस जाटलैंड की सभी आठ सीटों पर भाजपा ने अपनी जीत का परचम लहरा दिया.
इस ध्रुवीकरण के लिए भाजपा ने इस बार भी हर सम्भव प्रयास किया लेकिन हुआ नहीं. इस बार धर्म की सियासत पर गन्ना बीस पड़ा, स्थानीय समस्याएं बीस पड़ीं और इन्हीं समस्याओं के साथ चौधरी अजित सिंह और जयन्त चौधरी अपने लोगों के दिलों में फिर से वापस हो गए. इस बीच एक दूसरे की दुश्मन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी में दोस्ती हो गयी. इस दोस्ती में राष्ट्रीय लोकदल
भी शामिल हो गया. प्रथम चरण के लिए हुए इस मतदान में सपा, बसपा और रालोद का यह गठबन्धन हर सीट पर भाजपा के सामने मजबूती से खड़ा दिखा. इन दोनों के संघर्ष में तीसरी शक्ति के रूप में नजर आई प्रियंका गांधी से मिली नई ऊर्जा को लेकर खड़ी कांग्रेस. इसका लाभ भाजपा को मिलता दिख रहा है. इसके बाद भी रुझानों से स्पष्ट है कि जाटलैंड में भाजपा को जोर का झटका लगेगा.
छिटपुट घटनाओं और इवीएम पर उठे सवालों को छोड़ दिया जाय तो यूपी के इस जाटलैंड में मतदान शांतिपूर्ण रहा. इसे लेकर जबरदस्त उत्साह भी दिखा. 64.76 फीसदी मतदान भी हुआ जो पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में एक फीसदी कम है. इन आठ सीटों में सर्वाधिक 71 फीसदी मतदान सहारनपुर में हुआ है लेकिन वह भी पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 3.24 फीसदी कम है. 66.66 फीसदी मतदान के साथ दूसरे नम्बर पर मुजफ्फरनगर है, लेकिन पिछले की तुलना में 3.06 फीसदी कम. 64.50 फीसदी मतदान करने वाले कैराना में इस बार 8.6 फीसदी मतदान घटा है. बागपत में 63.90 फीसदी मतदान हुआ जो पिछले की तुलना 2.82 फीसदी कम है. गाजियाबाद में मतदान तो 57.60फीसदी हुआ है लेकिन पिछले चुनाव से .66 फीसदी अधिक है. 62.70 फीसदी वोट करने वाले गौतमबुद्धनगर में इस बार 2.31फीसदी मतदान बढ़ा है. 63.72 फीसदी वोट करने वाले मेरठ .61 फीसदी मतदान बढ़ा है. बिजनौर में 65.30 फीसदी मतदान हुआ लेकिन पूर्व की तुलना में 2.58 फीसदी मतदान घटा है. मतदान के इस घटने बढ़ने को सभी दल अपने अपने चश्में से परिभाषित कर रहे हैं लेकिन कमोवेश यह सभी मान रहे हैं कि जाटलैंड में भाजपा को जोर का झटका लगा है
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