Kashish || @LocalNewsOfIndia
मंडी ,हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्रकृति के कहर का शिकार हुआ है। बीती सोमवार रात प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 17 स्थानों पर बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें सबसे अधिक तबाही मंडी जिले के धर्मपुर क्षेत्र में देखने को मिली। यहां स्याठी गांव जलप्रलय में बह गया और अब तक कुल 34 लोग लापता हैं। राहत-बचाव अभियान जारी है, लेकिन खराब मौसम और ध्वस्त सड़कों के कारण प्रयासों में भारी बाधा आ रही है।
घटना के बाद से अब तक तीन और शव बरामद हुए हैं, जिससे मृतकों की संख्या 18 पहुंच चुकी है। इनमें 16 मौतें सिर्फ मंडी जिले से हैं। दो शव कांगड़ा और एक हमीरपुर में मिला है, जबकि जोगिंद्रनगर व देहरा में मिले शवों की पहचान बाढ़ पीड़ितों के रूप में हुई है। एनडीआरएफ की टीम केवल थुनाग बाजार तक पैदल पहुंच पाई है, जबकि उससे आगे के क्षेत्रों पखरैर, जरोल और जंजैहली तक जिला प्रशासन की पहुंच नहीं बन सकी है। थुनाग और जंजैहली में सड़कों के पूरी तरह से ध्वस्त हो जाने के कारण हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को हवाई सर्वेक्षण कर आपदा प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। उन्होंने मंडी के धर्मपुर की लौंगणी पंचायत में स्याठी गांव का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की और विशेष राहत पैकेज का ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि जिनके घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें पुनर्निर्माण के लिए विशेष सहायता दी जाएगी। साथ ही, गोशालाएं, पशुधन और अन्य संपत्ति के नुकसान पर भी बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाएगा।
सुखविंद्र सुक्खू ने मंडी-कोटली मार्ग
सहित अन्य सड़कों को हुए नुकसान का निरीक्षण भी किया और चट्टानों के खिसकने के कारणों पर वैज्ञानिक अध्ययन करवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हिमाचल में बार-बार हो रही बादल फटने की घटनाओं के पीछे जलवायु परिवर्तन की भूमिका हो सकती है, जिसे समझने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए।
वर्तमान में प्रदेश में 245 सड़कें बाधित हैं, 918 बिजली ट्रांसफॉर्मर और 683 पेयजल योजनाएं ठप हैं, जिससे बड़े पैमाने पर बिजली और पानी का संकट उत्पन्न हो गया है। अब तक 370 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है, जबकि कुल्लू की बंजार घाटी में फंसे 250 सैलानियों को भी बाहर निकाला गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर थुनाग और जंजैहली क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर के माध्यम से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। अब तक 172 राहत किट वितरित की जा चुकी हैं। दो गर्भवती महिलाओं को हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। संचार सेवा बहाल करने के लिए वी-सैट संचार पोर्टल की भी व्यवस्था की गई है।
सराज क्षेत्र में अब भी बिजली-पानी और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप हैं, जिससे सर्च ऑपरेशन में भी मुश्किलें आ रही हैं। स्यांज और करसोग घाटियों में राहत और खोजबीन अभियान युद्धस्तर पर जारी है। स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार कोशिश कर रही हैं, लेकिन भीषण आपदा के आगे संसाधन नाकाफी दिख रहे हैं।
इस बीच मौसम विभाग ने प्रदेश के अधिकांश जिलों में 5 से 7 जुलाई तक भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि 4 जुलाई के लिए येलो अलर्ट प्रभावी है। इससे बचाव कार्यों में और भी चुनौतियां आने की आशंका है।
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