Kashish || @LocalNewsOfIndia
दिल्ली सरकार ने राजधानी में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे ईंधन प्रतिबंध और उनकी जब्ती की कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। तकनीकी चुनौतियों और व्यवस्था की जटिलताओं का हवाला देते हुए सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को पत्र लिखकर इस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने स्पष्ट किया है कि सरकार वायु प्रदूषण के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता के साथ-साथ नागरिकों की जरूरतों और आजीविका को भी ध्यान में रखते हुए संतुलित निर्णय लेना चाहती है।
पत्र में कहा गया है कि ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान प्रणाली (ANPR) में तकनीकी खामियां हैं, जो इस अभियान को लागू करने में बड़ी बाधा बन रही हैं। दिल्ली के कई पेट्रोल पंपों पर कैमरे या तो ठीक से काम नहीं कर रहे या फिर पूरी तरह से निष्क्रिय हैं। वहीं, यह प्रणाली पूरे NCR क्षेत्र में लागू नहीं है, जिससे पड़ोसी राज्यों से आने वाले वाहनों पर निगरानी संभव नहीं हो पा रही। इसके चलते आम लोगों में नाराजगी और भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
पर्यावरण मंत्री सिरसा ने कहा कि सरकार को नागरिकों की ओर से यह शिकायतें लगातार मिल रही हैं कि ANPR
कैमरे फ्यूल स्टेशनों पर ठीक से काम नहीं कर रहे, जिससे उन्हें अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वाहनों पर कार्रवाई उनके उम्र के बजाय उनके वास्तविक प्रदूषण स्तर के आधार पर होनी चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के तहत दिल्ली में 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के परिचालन पर रोक है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने भी 2014 में सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे पुराने वाहनों के पार्किंग पर रोक लगाई थी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, "दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन किसी भी नीति को लागू करते समय हमें नागरिकों की रोजमर्रा की जिंदगी और आजीविका का भी ध्यान रखना होगा। हम दीर्घकालिक, स्वच्छ और टिकाऊ परिवहन समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं।"
सरकार ने साफ किया है कि वह सीएक्यूएम के मूल उद्देश्य यानी प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसके लिए व्यवहारिक और तकनीकी पक्षों को भी संतुलित ढंग से देखना होगा। अब देखना यह है कि आयोग इस पत्र पर क्या रुख अपनाता है और आगे इस दिशा में क्या निर्णय लिए जाते हैं।
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