मुस्कान सिंह
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सुपरस्टार का बेटा, दूसरे अटेंप्ट में ही क्रैक की UPSC परीक्षा और बन बैठे IAS, जानें हासिल की कितनी रैंक
सुपरस्टार पिता के स्टारडम का असर अक्सर बच्चों पर होता है, लेकिन जिस स्टारकिड की आज बात करने जा रहे हैं, इस पर रत्ती भर नहीं पड़ा। इस स्टारकिड ने दूसरे अटेंप्ट में ही UPSC परीक्षा क्रैक कर ली IAS बन गए और फिल्मी दुनिया से इतर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।
फिल्मी दुनिया में ज्यादातर स्टारकिड्स इंडस्ट्री में रहकर ही काम करते हैं, कई एक्टिंग में हाथ आजमाते हैं तो कुछ डायरेक्शन और प्रोडक्शन के क्षेत्र में जाते हैं। अब स्टार किड्स का अपने माता-पिता की राह पर चलते हुए फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाने की कोशिश करना आम बात है, ऐसे कम ही स्टारकिड्स होते हैं जो फिल्मी दुनिया में बड़ा नाम कमाने के बदले अलग राह चुने। आज ऐसे ही एक स्टारकिड के बारे में बताएंगे जिसका सपना सिल्वर स्क्रीन पर चमकना हरगिज नहीं था। अस स्टारकिड ने अपनी अलग पहचान बनाने की चाहत को सच कर दिया। इस स्टारकिड ने सिनेमा से दूर रहकर देश सेवा का रास्ता चुना। हम बात कर रहे हैं आईएएस अधिकारी श्रुतंजय नारायणन की, जो मशहूर तमिल कॉमेडियन चिन्नी जयंत यानी कृष्णमूर्ति नारायणन के बेटे हैं।
इस सुपरस्टार के बेटे हैं आईएएस अधिकारी
चिन्नी जयंत तमिल फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं। चिन्नी जयंत ने 1980 के दशक में रजनीकांत की कई फिल्मों में अपने हास्य अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। उनकी कॉमिक टाइमिंग के लोग दीवाने हो जाते थे। पर्दे पर उन्हें देखना किसी हंसी के फुवारे से कम नहीं था। तमिल सिनेमा में उन्होंने जबरदस्त पहचान बनाई। कई फिल्मों में काम करने वाले चिन्नी जयंक के बेटे
श्रुतंजय नारायणन ने फिल्मों की ओर न जाते हुए प्रशासनिक सेवा में करियर बनाने का फैसला किया। अभिनय के माहौल में पले-बढ़े श्रुतंजय को फिल्मों में दिलचस्पी जरूर थी, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी और अलग दिशा में करियर बनाने की ठानी।
पढ़ाई पर इस तरह किया फोकस
चिन्नी जयंत के बेटे श्रुतंजय नारायणन ने गुइंडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन किया और इसके बाद अशोका यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने एक स्टार्टअप में काम करने का अनुभव हासिल किया, लेकिन उनका असली लक्ष्य था IAS अधिकारी बनना। इसके लिए उन्होंने नौकरी के साथ-साथ रोजाना 4–5 घंटे की सेल्फ स्टडी की और रात की शिफ्ट में काम कर आर्थिक रूप से खुद को सहारा भी दिया। वो कभी भी अपने पिता का आश्रित नहीं रहे। और कहते हैं न मेहनत का फल मीठा होता है और ठीक ऐसा ही श्रतुंजय नारायणन के लिए भी रहा।
हासिल की ये रैंक
उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 2015 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 75 प्राप्त की। यह उनका दूसरा प्रयास था। उन्होंने सोशियोलॉजी को अपना वैकल्पिक विषय चुना और भूगोल में भी रुचि दिखाई। वर्तमान में श्रुतंजय नारायणन तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में सब कलेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने विल्लुपुरम जिले में एडिशनल कलेक्टर (विकास) के पद पर तैनात रहते हुए कई विकास योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया है। वो सिविल सेवा के क्षेत्र में अपने काम से लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। श्रुतंजय की यह कहानी बताती है कि स्टार किड होने के बावजूद कोई व्यक्ति अपनी अलग राह चुन सकता है और कड़ी मेहनत से अपनी अलग पहचान बना सकता है।
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