विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। किसान तो हमेशा से ही हाशिये पर रहा हैं चाहे वो अंग्रेजो का काल हो या मुगलो का , नेहरू का हो या इंदिरा का या फिर चौधरी चरण सिंह का ही क्यों न रहा हो। या आज मनमोहन के मौन पर भारी मोदी की मन की बात का। हर वक़्त किसान घुटता रहा टूटता रहा। आकड़ो में अब वो आत्महत्या के लिए भी दर्ज नही है , मजदूर कोरोना में जो निपट गए उनसे सरकार ने पहले ही पल्ला झाड़ लिया। बहरहाल यह ज्ञान देने का वक़्त नहीं बारीकी से यह समझने का वक़्त हैं की मीडिया कितनी सीधी सपाट तरीके से देश की बात देश को सूना रहा हैं।
देश सुशांत के बारे में सुनना चाहता था तो मीडिया ने कंगना की कलह सुनाना शुरू कर दिया और अब जब मोदी जी ने किसानो को उबारने के लिए आत्मनिर्भर किसान वाली दीन दयाल की शुरुवात बाकी की पूर्व में सभी योजनाबद्ध पीड़ा देने वाली योजनाओ की तरह उनके उन्मूलन के लिए, उनको जल जंगल जमीन से बेदखल करने के लिए, किसान बिल में इतना बड़ा बदलाव किया हैं तो जाहिर सी बात हैं मीडिया अब ड्रग्स दिखायेगा क्योकि देश किसान को नहीं ड्रग्स देखना चाहता हैं।
i-amphtml-auto-lightbox-visited="" lightbox="i-amphtml-auto-lightbox-1" xss="removed"> अब उसमे चाहे टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन करने वाली छपाक वाली दीपिका पादुकोण को नशेड़ी गजेड़ी के रूप में दिखाकर बॉलीवुड की चड्ढी उतारने की कवायद हो या फिर धर्मा प्रोडक्शंस के डायरेक्टर को धरने की बात हो सब जायज हैं और जरूरी भी।
कुछ टीवी चैनल में किसान अब भी ज़िंदा हैं बस एक दो पल ही रह पाया होगा कि दीनदयाल जी के सहारे मोदी जी आ गए क्योकि उनको लग गया कि ड्रग्स और दीपिका पर यह मीडिया ज्यादा देर और नहीं टिक पायेगा .
फिर क्या था सारा खेल साफ़ हो गया झूठ का अफवाह फैलाने वाले किसान संगठनों और राजनीतिक दलों को मोदी जी ने जैसे जैसे धोना शुरू किया वैसे वैसे मीडिया में थोड़ा बहुत ड्रग्स मिलने की खबर भी तूल पकड़ने लगी। जरूरी भी है अब कब तक बस यही दिखाएंगे कि आज रकुलप्रीत या दीपिका की खिचाई होगी।
अब कुछ लोगो को एक चिंता खाये जा रही हैं की सब कुछ ठीक हैं कोई हीरो नहीं फंसा। मतलब ले देकर महिला विरोधी हैं मोदी जी अब इस तरह की अफवाह भी लोग बाग़ फैलाने में जुट गए हैं और रही बात किसान की तो वो लूट लिए गए हैं या लुट गए हैं यह सबको पता हैं।
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