गांव का पैसा गांव में
चंचल
साल भर पहले इसपर लिख चुका हूं . और यह कोई नई बात नही थी , 71/ 72 में बिल्थरा रोड बलिया में समाजवादी युवजन सभा का एक सम्मेलन हुआ था .' पूर्वांचल विद्रोह सम्मेलन .सम्मेलन में 'किसान: दसा और दिशा ' पर लम्बी बहस चली थी , ' गांव क पैसा गांव में ' उसी सम्मेलन का निचोड़ था . मांग जो निकली वह कोई नई बात नही कह रही थी . गांधी जी के नेतृत्व में चलरही कांग्रेस में इस विषय पर '34 /' 35 से ही किसान और जमीन को लेकर कई विन्दुओं पर प्रस्ताव पास हुए हैं . विद्रोह सम्मेलन उन्ही प्रस्तावों के परिप्रेक्ष में, वक्त के साथ आये बदलाव को जोड़ कर आंदोलन की रूपरेखा बनी . किसान को अपने उत्पाद की बेहतर कीमत मिले , इसके लिए सरकार ठोस कदम उठाए और आढ़तियों की लूट से किसानों को बचाये .
खेत उत्पाद से जुड़े उद्योगों को मनमानी मुनाफा कमाने पर प्रतिबंध लगे तथा खेत और कारखाने के बीच का रिश्ता एक और डेढ़ के अनुपात में हो . इन सब के विस्तार में न जाकर आइये इस ' आढ़तिया सरकार ' की नियति को जाने .
5 जून 2020 ( शायद यही तारीख है ) को केंद्र सरकार ने एक चंगेजी फरमान जारी किया . जिसके कुल तीन अध्याय है . 1 - किसान अब सीधे आढ़तियों को अपना उत्पाद बेच सकते हैं . मंडी जाने की जरूरत नही है .
( मंडी क्या है किस आधार पर कांग्रेस सरकार ने इसका आकार दिया था , उसके मुख्य बातें जान लें . मंडी विकेन्द्रित केंद्र है जहां से किसान अपने अपने उत्पाद को बेच और खरीद सकता है . सरकार द्वारा तय न्यूनतम मूल्य के साथ . उसे आढ़तियों के लूट से बचाने के लिए . मंडी के संचालन की जिम्मेवारी किसानों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से ही संचालित होगी . कांग्रेस सरकार का लक्ष्य था दस
किलो मीटर पर एक मंडी अवश्य बने . उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने इसे और गति दिया . सरकार बदलते ही उत्तर प्रदेश ने सबसे पहले पहल की कि मंडी व्यवस्था खत्म कर दी . बड़े काश्तकार तो अपना उत्पादन सरकारी क्रय केंद्रों तक पहुंचा सकते है लेकिन छोटे किसान मजबूरी में आढ़तियों के चंगुल में फंस जाने को मजबूर हैं . )
२- खुल्लम खुल्ला जमाखोरों के समर्थन में उतरी मोदी सरकार का नया नादिरशाही फरमान सुनिए - अब आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने वाली खाद्य वस्तुओं की फेहरिस्त से कई उत्पाद बाहर कर दिए गए यानी इन सामान की जमा करने की निश्चित वजन अब नही रहेगा आढ़तिया या घराने जितना चाहें जमा कर सकते हैं . इसमे खाद्य तेल , वगैरह कई वस्तु हैं .
( सरकार का नियम था कि जो आवश्यक वस्तु है जिसमे खाद्य पदार्थ आते है उनका भंडारण निश्चित सीमा से ज्यादा नही किया जा सकता , ऐसा करने पर यह जमाखोरी के शेणी में आएगा . इस सरकार ने जमाखोरी की मुकम्मिल छूट दे दी . यानी मंहगाई पर अब नियंत्रण जमाखोरों का होगा . )
3- बड़े घराने और किसान दोनो को छूट होगी कि वे अपनी जमीन इन घरानों को खेती करने के लिए आजाद हैं .
( यह तुगलकी फरमान है . सारी दुनिया जानती है भारत का अर्थ तंत्र खेत और खलिहान पर टिका है . अब उस पर भी हमला . क्यों कि अब अम्बानी साहब आ रहे हैं खेती करने . खेती में उतरने के लिए इसी मई के महीने में अम्बानी ने एक कम्पनी बनाई है , उसी के एक हफ्ता बाद सरकार का अध्यादेश निकला . ) हरियाणा में किसान आंदोलन शुरू है . जगह जगह झड़प हो रही है लाठी चार्ज हो रहा है . कुरुक्षेत्र हाइवे किसानों के कब्जे में है . पिपली किसानों का केंद्र बना है . कांग्रेस का खुला समर्थन है किसानों के साथ .
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