संस्कृति विवि की छात्राओं ने जमकर लिया बृज की होली का आनंद

पुलिस ने लेवी मांगनेवाले दो अपराधियों को हथियार सहित दबोचा Karauli : श्री महावीर जी में भगवान जिनेन्द्र की निकली रथ यात्रा पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बीच स्थित नहरों का जंक्शन है खास 29 को कल्पना सोरेन गांडेय से करेगी नामांकन बीजापुर के आराध्य देव चिकटराज मेले का हुआ समापन उत्तराखंड: चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लगातार जारी कांग्रेस प्रत्याशी ने किया नामांकन फॉर्म जमा - झाबुआ रामपुर पहुंचे संजय सिंह, कहा- इंडिया गठबंधन की बनेगी सरकार दंतेवाड़ा 18 नक्सली सरेंडर हमीरपुर में मतदान बढ़ाने का लिया गया संकल्प मऊ में मतदान के लिए दिलाई गई शपथ गर्मियों में बढ़ गई है गैस और अपच की समस्या Dream Girl 3 में अनन्या पांडे नहीं सारा अली खान नजर आएगी Liquor Shop Closed: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में आज से 26 अप्रैल तक बंद रहेंगे ठेके PM-चुनावी दौरा-प्रदेश मतदाता जागरूकता-प्रदेश पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे यात्रियों को किफायती मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराएगा आज का राशिफल पीलीभीत में सड़क सुरक्षा जागरूकता को स्कूलों में दिलाई गई शपथ चुनाव प्रचार समाप्त

संस्कृति विवि की छात्राओं ने जमकर लिया बृज की होली का आनंद

Deepak Chauhan 11-03-2020 19:58:22

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रावासों में रह रहीं दूर-दराज प्रांतों की छात्राओं और विदेशी छात्रों ने कालेज कैंपस में जमकर होली खेली। ब्रज के लोक गीतों को गाकर भरपूर मनोरंजन किया। छात्राओं की होली दोपहर तक चली।

सुबह धूप खिलते ही छात्राएं अपने छात्रावासों से निकलकर विवि प्रांगण में गुलाल और रंगों से लैस होकर एकत्र होने लगीं। विश्वविद्यालय में रह रहे छात्र बड़ी जिज्ञासा से इस रंगों के त्योहार को निहार रहे थे। थोड़ी देर में वे भी रंग और गुलाल में रच-बस गए। छात्राओं के छोटे-छोटे दल बन गए थे। एक दूसरे दल के सदस्यों को रंग से पोतने और गुलाल से लाल करने की होड़ सी मच गई। रंगों से बचने वालों के लिए दौड़ लगाने को विवि का लंबा-चौड़ा प्रांगण था, लेकिन उनको घेरने वाली छात्राएं भी कम नहीं थीं और दौड़कर पकड़ ले रहीं
थीं। चारों ओर मस्ती का माहौल और गुलाल का गुबार था।

छात्रावासों में रह रहीं कुछ छात्राओं के लिए तो यह सब अनौखा था। कुछ ने बृज की होली के बारे में सुना ही सुना था कभी इसका हिस्सा नहीं बनीं थीं। कुछ ऐसी थीं अपने घरों से बाहर निकली ही नहीं थीं और उनके यहां यह त्योहार इस तरह से मनाया भी नहीं जाता, उनके लिए भी यह अजूबा जैसा ही था। जिन्होंने पहले कभी नहीं मनाई थी होली, उनका उत्साह और भागीदारी सर्वाधिक उल्लास से भरपूर थी। किसी को रंग में सराबोर करने पर मचने वाला शोर विजेता का एहसास करा रहा था। छात्राओं के आनंद का मीटर चरम पर था और वे स्वच्छंद होकर लोकगीतों का टूटा-फूटा मगर पूरे जोश से गायन कर रही थीं। काफी देर तक होली का यह त्योहार विवि के प्रांगण में जीवंतता पर्याय बना।

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :