पाकिस्तान अगर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम रहता है, तो उसे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को रोकने वाली संस्था फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF की रिव्यू मीटिंग में पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी गई है।
पाकिस्तान FATF की डार्क ग्रे लिस्ट में जा सकता है। वो पहले से ही ग्रे लिस्ट में है। FATF की डार्क ग्रे लिस्ट में जाने का मतलब है कि अगर पाकिस्तान टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को नहीं रोकता है तो वो ब्लैक लिस्ट में जा सकता है।
कैसे काम करता है FATF?
FATF एक स्वतंत्र इंटर गवर्नमेंट बॉडी है। इसका काम ग्लोबल फायनेंसियल सिस्टम की नीतियों की रक्षा करना और इसे बढ़ावा देना है। ताकि फायनेंसियल सिस्टम का इस्तेमाल आतंकी और एंटी सोशल एलिमेंट नहीं कर पाएं।
FATF ग्लोबल फायनेंसियल सिस्टम को सही रखने के लिए नीतियां बना सकता है लेकिन वो किसी देश को अपनी रेटिंग सुधारने के लिए सलाह नहीं दे सकता। रेटिंग सही रखने की दिशा में काम उन देशों को ही करना है। FATF अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी बनाने वाली संस्था है। इसे कानून के लागू करने, जांच करने या आरोपित करने का अधिकार नहीं है।
फायनेंसियल टास्क फोर्स का गठन जी-7 (G-7) देशों ने पेरिस समिट में जुलाई 1989 में किया था। FATF
का मकसद मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को रोकना और उसपर निगरानी रखना था। अक्टूबर 2001 में FATF ने अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किया। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा टेरर फंडिंग और ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकना और ऐसे मामलों पर नजर रखना शामिल किया गया।
कौन से देश ग्रे-लिस्ट में डाले जाते है ?
ग्रे लिस्ट में उन देशों को डाला जाता है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के लिए सेफ हेवन तो नहीं माने जाते लेकिन वहां ऐसी गतिवधियों के होने की जानकारी मिलती रहती है। ग्रे लिस्ट में डाले गए देशों के ब्लैक लिस्ट होने का खतरा बना रहता है।
एक तरह से उन्हें एक चेतावनी दी जाती है ताकि वो टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर रोकथाम लगा सकें. ये फुटबॉल मैच में खिलाड़ी को यलो कार्ड दिखाने जैसा है। इसका मतलब है कि ग्रे लिस्ट में गए देशों को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामलों को रोकना होगा।
क्या होता है ग्रे-लिस्ट का मतलब ?
डार्क ग्रे लिस्ट, ग्रे लिस्ट के बाद का खतरनाक स्तर है। ये ग्रे लिस्ट के देशों को दी गई एक और चेतावनी होती है। इसका मतलब है कि डार्क ग्रे लिस्ट में गए देश अपने यहां टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलो को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और उसे रोकने में सहयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे देशों के ब्लैक लिस्ट होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
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