बांग्लादेश के हबीगंज कस्बे से भागकर 2001 में सिंगापुर पहुंचे जॉय सुदीप भद्रो खुद 10वीं पास नहीं हैं, लेकिन अब वे पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट चलाते हैं। इसे 2012 में शुरू किया गया था। यह बंग्लादेश के कस्बे हबीगंज का अकेला तकनीकि संस्थान है। तीन मंजिला बिल्डिंग में संचालित इस शिक्षण संस्थान में आज 200 से अधिक प्रतिभागी रोजगार परक ट्रेनिंग हासिल कर रहे हैं। इसे नॉर्थ ईस्ट आइडियल पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट नाम दिया गया है।
24 साल की उम्र में सिंगापुर पहुंचे सुदीप ने कंस्ट्रक्शन साइट पर नौकरी शुरू की। पास ही में एक पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट था, जिसके छात्रों को वह अक्सर देखते। इससे उन्हें समझ आया कि अनेक ग्रेजुएट तकनीक ज्ञान के बिना ही कम रुपयों में मजदूरों की तरह काम करते हैं। यहीं से रोजगार परक शिक्षण संस्थान खोलने का सपना देखा।
2012 में दो युवकों ने उन्हें साइकिल से
गिराकर मोबाइल पर्स लूट लिया। इसके बाद उन्होंने सोचा कि ऐसी ही स्थिति सिंगापुर से 3917 किलोमीटर दूर उनके गृह नगर में भी होगी। इसके बाद जमा पूंजी से इंस्टीट्यूट की शुरुआत की।
जॉय सुदीप ने बताया, सिंगापुर में छात्रों को शिक्षण संस्थान जाते देखना नई बात नहीं थी, लेकिन एक बांग्लादेसी के लिए यह नया जहान देखने जैसा था। जब मैं यहां 24 साल की उम्र में आया तो बहुत गरीब था। आज 42 साल हूं। मैने अपना जीवन युवाओं की शिक्षा के लिए ही समर्पित कर दिया है।
मैंने कंस्ट्रक्शन से लेकर ऑटोमोबाइल सेक्टर में कई नौकरियां की। यहीं मैने जाना कि किन कारणों से अपना हाई स्कूल पूरा नहीं कर सका। मुझे 600 सिंगापुर डॉलर (30204 रुपए) में 11 लोगों का परिवार चलाना पड़ा। यदि खुद में सुधार का सपना नहीं देखता तो आज अनेक जिंदगियों को बेहतर नहीं बना पाता।
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